Edited By Rahul Singh, Updated: 24 Aug, 2024 02:11 PM
बात गौवंश की है, जिसे दुत्कार कर बेसहारा छोड़ा जा रहा है और मिलावटी व पैकेट बंद दूध को अपनाया जा रहा है। एक सर्वे के अनुसार 2 लाख से अधिक पशुधन (गौवंश) बेसहारा घूम रहा है। प्रदेश के किसान भी 7 लाख हैक्टेयर से अधिक भूमि को बीजना छोड़ चुके हैं।
हमीरपुर, (पुनीत): बात गौवंश की है, जिसे दुत्कार कर बेसहारा छोड़ा जा रहा है और मिलावटी व पैकेट बंद दूध को अपनाया जा रहा है। एक सर्वे के अनुसार 2 लाख से अधिक पशुधन (गौवंश) बेसहारा घूम रहा है। प्रदेश के किसान भी 7 लाख हैक्टेयर से अधिक भूमि को बीजना छोड़ चुके हैं। पिछले वर्ष जनवरी माह में प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने संबंधित विभाग को बेसहारा घूम रहे पशुओं से प्रदेश को मुक्त करने के बारे मेंं 10 दिन के भीतर एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी योजना अंतिम रूप नहीं ले पाई है।
बदनसीबी उस गौवंश की भी है और भरपाई आम जनता को करनी पड़ रही है। हर दिन ही किसी न किसी जिला से बेसहारा पशुओं के हमले से किसी व्यक्ति के घायल होने या मौत हो जाना सुर्खियां बना रहता है। पिछले एक सप्ताह में ही बेसहारा पशुओं द्वारा लोगों को घायल करने के एक दर्जन के करीब मामले प्रदेश भर में में सामने आ चुके हैं। पशुधन की बेकद्री इस कद्र महंगी पड़ने लगी है कि सड़कों पर पशुओं के साथ वाहनों के टकराने से सुहाग उजड़ रहे हैं।
बता दें कि पिछले दिनों जिला बिलासपुर के बरमाणा क्षेत्र में ही 26 वर्षीय युवक की मौत इन बेसहारा पशुओं के कारण हुई है, जोकि अपने पीछे 22 वर्षीय पत्नी व 2 छोटे बच्चे छोड़ गया है। हमीरपुर में ही बीते 3 वर्षों में दर्जन भर मौतें हो चुकी हैं। ऊना जिला का आंकड़ा तो चौंकाने वाला है, जहां 3 वर्षों में 2 दर्जन के करीब मौतें हो चुकी हैं। बाकी जिलों का भी ऐसा ही हाल है। बुद्धिजीवियों की माने तो यह मौतें नहीं हैं, इसके लिए सरकारी तंत्र जिम्मेदार है, जिनकी जबावदेही तय होनी चाहिए और हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए।