शहादत पाने वाले जवानों के आश्रितों को 20 लाख और नौकरी देगी सरकार

Edited By Vijay, Updated: 25 Jul, 2018 11:21 PM

government will give 20 lakh and job to the dependents of martyrdom soldiers

देश की प्रत्येक लड़ाई में हिमाचल के वीर सपूतों को बड़ा योगदान रहा है। सेना व केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों के जवान हर लड़ाई में मोर्चे पर रहे हैं। इसे देखते हुए जयराम सरकार ने केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के आश्रितों को भी 20 लाख की आर्थिक सहायता...

शिमला: देश की प्रत्येक लड़ाई में हिमाचल के वीर सपूतों को बड़ा योगदान रहा है। सेना व केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों के जवान हर लड़ाई में मोर्चे पर रहे हैं। इसे देखते हुए जयराम सरकार ने केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के आश्रितों को भी 20 लाख की आर्थिक सहायता और एक आश्रित को नौकरी की व्यवस्था कर ली है। पूर्व में केवल सेना के जवानों के परिजनों को ही राज्य सरकार मात्र 5 लाख रुपए देती थी। अब सेना व पैरा मिलिटरी फोर्स सभी जवानों की शहादत पर राज्य सरकार मदद करेगी। जवानों के शारीरिक रूप से विकलांग होने पर 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। जवान की 50 फीसदी से ज्यादा विकलांगता के कारण फोर्स से डिस्चार्ज करने पर उसे 2.50 लाख और 50 फीसदी से कम विकलांगता के कारण फोर्स से निकालने पर 1 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राज्य सरकार देगी।


हिमाचल के वीर सपूतों का बहुत बड़ा योगदान
हिमाचल में कुल 1 लाख 12 हजार 935 पूर्व सैनिक हैं। राज्य सरकार इन्हें और भी कई तरह की सुविधाएं प्रदान करने के दावे कर रही है। शहीदों के नाम से सरकार सड़कें, पार्क व स्मारक इत्यादि बनाती है ताकि लोग इनकी कुर्बानियों को न भुला पाएं। मुख्यमंत्री ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि वीरवार को पूरा देश कारगिल शहीदी दिवस मना रहा है। इसमें हिमाचल के वीर सपूतों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। कारगिल के अलावा अन्य लड़ाइयों में भी प्रदेश के जवान अग्रिम पंक्ति में रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक ईंट शहीद के नाम कार्यक्रम के तहत देशभर में शहीद स्मारक बनाए जाएंगे। इन्हें बनाने के लिए कई संस्थाएं आगे आई हैं।


मेधा प्रोत्साहन योजना आरंभ करेगी सरकार
मुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि राज्य सरकार प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए छात्रों को तैयारी करवाने के लिए कोचिंग सुविधा देने के उद्देश्य से मेधा प्रोत्साहन योजना आरंभ कर रही है। वर्तमान वित्त वर्ष में इस योजना के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार नशीली दवाओं के दुष्प्रभाव और नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने पर विचार कर रही है, जिसमें 1 अध्याय आरंभ करने का विचार किया जा रहा है। उन्होंने अभिभावकों, शिक्षकों और छात्रों से इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए एकजुट होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में छात्रों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए अनेक योजनाएं आरंभ की हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों को जीवन में उपलब्धियां प्राप्त करने के बाद अपने माता-पिता और शिक्षकों के प्रयासों एवं बलिदान को नहीं भूलना चाहिए।

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