सरकार ने बढ़ाई Computer संचालकों की दिक्कतें, जानिए कैसे (Video)

Edited By kirti, Updated: 29 Jan, 2019 01:42 PM

सरकार द्वारा जूनियर ऑफिस असिस्टेंट के लिए हाल ही में आरएंडपी रूल्स में बदलाव किया गया है। इसमें निजी संस्थानों से डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों को जेओए भर्ती के लिए अयोग्य करार दिया गया है, जिसका गैर शिक्षण तकनीकी संस्थान संघ कड़ा विरोध करता है। यह...

कुल्लू(मनमिंदर): सरकार द्वारा जूनियर ऑफिस असिस्टेंट के लिए हाल ही में आरएंडपी रूल्स में बदलाव किया गया है। इसमें निजी संस्थानों से डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों को जेओए भर्ती के लिए अयोग्य करार दिया गया है, जिसका गैर शिक्षण तकनीकी संस्थान संघ कड़ा विरोध करता है। यह बात गैर शिक्षण तकनीकी संस्थान संघ के जिला अध्यक्ष लोत राम ने यहां सोमवार को कुल्लू में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से गैर शिक्षण संस्थान संचालकों व विद्यार्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनके अनुसार सरकार के इस फैसले से सभी कंप्यूटर संचालक आहत हैं। इसके अलावा लाखों की संख्या में विद्यार्थियों के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है। विद्यार्थियों ने अपना समय व पैसा खर्च कर संस्थानों में डिप्लोमा किए हैं लेकिन अब सरकार द्वारा इन डिप्लोमा को निरस्त करने के फैसले से विद्यार्थियों की भी परेशानियां बढ़ा दी हैं।

एक ओर सरकार रोजगार को बढ़ावा देने की बात कर रही है वहीं, दूसरी ओर प्राइवेट संस्थान से डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों को जेओए भर्ती के लिए अयोग्य करार देकर संस्थान संचालकों व डिप्लोमाधारकों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने अचानक बिना किसी अग्रिम सूचना के इन सभी संस्थानों के डिप्लोमा की मान्यता को रद्द करने का निर्णय लिया है जबकि पंजीकरण करवाने हेतु प्रदेश सरकार के पास ऐसा कोई सरकारी विभाग नहीं है जहां से संबंधित संस्थान मान्यता प्राप्त कर सके। इस मौके पर संघ के सचिव मोहन बाली व कोषाध्यक्ष मुरलीधर ने कहा कि सरकार के इस काले कानून का संघ पुरजोर विरोध करता है और यदि समय रहते इसमें संशोधन नहीं किया गया तो संघ आंदोलन करने में भी गुरेज नहीं करेगा। संघ के प्रवक्ता एवं कार्डिनेटर जितेंद्र राजपूत ने कहा कि सरकार का यह तानाशाही फैसला लाखों बेरोजगारों के साथ-साथ करीब सात हजार प्राइवेट कंप्यूटर संचालकों के साथ भद्दा मजाक है।

कंप्यूटर संचालकों ने लाखों रूपये लगाकर संस्थान चलाए हैं, जहां हर वर्ग के विद्यार्थियों को कंप्यूटर की शिक्षा दी जा रही है लेकिन अब नए संशोधन के अनुसार सरकार ने जो चयन करने के नियम बनाये हैं वह नियम न्यायसंगत नहीं है और प्रदेश के लाखो युवाओं व तकनीकी शिक्षण संस्थान संचालको को बेरोजगारी को ओर ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार उद्यमिता की बात कर रही है लेकिन प्रदेश सरकार की अंधी नीतियों की वजह से आज हजारों संस्थान संचालक व लाखों प्रशिक्षुओं को बेरोजगारी की तरफ धकेला जा है जोकि प्रदेश और देशहित के लिए उचित नहीं है और संघ इसका विरोध करता है। उन्होंने कहा कि संघ ने सरकार से मांग की है कि राजस्थान की तर्ज पर हिमाचल सरकार भी अधिनियम बनाए जाए ताकि पिछले 20-30 सालों से संस्थान चला रहे संचालकों और विद्यार्थियों को राहत मिल सके।
 

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