बाहरी कहकर चामुण्डा धाम में नहीं होने दिया कोरोना संक्रमित महिला का अंतिम संस्कार

Edited By prashant sharma, Updated: 13 May, 2021 11:32 AM

funeral of corona infected woman was not allowed to be held in chamunda dham

कोरोना महामारी के काल में सामाजिक भाईचारा और मान्यताएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। लोग अपनी जमीनों में किसी को तो घुसने ही नहीं दे रहे। वहीं अंतिम संस्कार के लिए बने श्मशान घाटों पर भी अपना मालिकाना हक जता कर बाहरी लोगों को न केवल अंतिम संस्कार से...

पालमपुर (प्रकाश ठाकुर) : कोरोना महामारी के काल में सामाजिक भाईचारा और मान्यताएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। लोग अपनी जमीनों में किसी को तो घुसने ही नहीं दे रहे। वहीं अंतिम संस्कार के लिए बने श्मशान घाटों पर भी अपना मालिकाना हक जता कर बाहरी लोगों को न केवल अंतिम संस्कार से रोक रहे हैं, बल्कि दाह संस्कार रोकने के लिए मरने मारने पर भी उतारू हो रहे हैं। कोरोना महामारी से तो लोग जैसे तैसे शासन प्रशासन के सहयोग से निपट लेंगे, लेकिन समाज में भाई चारे में पैदा हुई टूटन को पाटना भी किसी चुनौतियों से कम नहीं होगा। 

सामाजिक भाईचारे में आई इसी प्रकार की दरार का ताजा उदाहरण ऐसी भूमि पर देखने को मिला है जिसे प्रदेश में आस्था का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है और इसे बावन शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। जो लोग अपने प्रियजनों की अस्थियां हरिद्वार तक नहीं पहुंचा पाते हैं वो इस स्थान पर अस्थि विसर्जन करते हैं। जी हां बुधवार को मां चामुण्डा की नगरी में एक सैनिक परिवार को उनके परिवार की 70 वर्षीय महिला के शव का अंतिम संस्कार करने से इसलिए लोगों ने रोक दिया क्योंकि मृतक उस इलाके की नहीं थी और कोरोना पोजिटिव थी। 

सुलह विधानसभा क्षेत्र की नौरा पंचायत की एक 74 वर्षीय महिला कोरोना पॉजिटिव होने के कारण एम.एच. योल में उपचाराधीन थी। तबीयत खराब होने पर महिला को एम.एच. पठानकोट के लिए रैफर किया गया था, लेकिन वहां पर महिला की मौत हो गई। महिला के शव को एम.एच. योल की एम्बुलैंस से रात को ही योल पहुंचा दिया गया। सुबह महिला के परिजनों ने आपस में सलाह की और तय किया कि उनके अपने गांव में अंतिम संस्कार करने की बजाय चामुण्डा धाम में ही अंतिम विधि कर दी जाए। शव को लेकर जैसे ही ये लोग चामुण्डा पहुंचे और इसके लिए जरूरी सामान व लकड़ी आदि का बंदोबस्त करने लगे तो कोरोना प्रोटोकोल में होते संस्कार को देख लोगों में खुसर पुसर शुरू हो गई। बात फैल गई और आसपास के कई लोग वहां पहुंच गए और शव का संस्कार यहां न करने को कहा।

महिला के परिजनों ने शक्तिपीठ का हवाला देते हुए यहां पर ही दाह संस्कार करने की बात रखी जिस पर कुछ लोग झगड़े पर उतारू हो गये। मारपीट होने वाला माहौल बनता देख महिला के परिजनों ने अपने गांव में संपर्क किया और सारी बात बताकर गांववासियों को अपने पैतृक श्मशान में ही संस्कार की तैयारी करने को कहा और शव को पुनः वाहन में रखकर अपने गांव की ओर निकल गए और अपने गांव में न्यूगल खड्ड के किनारे महिला का अंतिम संस्कार किया। महिला के परिजनों ने प्रदेश सरकार व उपायुक्त कांगड़ा से आग्रह किया कि अस्पतालों की नजदीक की पंचायतों व सड़क के किनारे जहां पर भी अंतिम संस्कार के लिए शवदाह गृह बनाए गए हैं वहां पर कोई भी व्यक्ति चाहे वो हिमाचली हो या कोई बाहर से आया हुआ कोई व्यक्ति अगर उसके साथ कोई ऐसी वैसी बात हो जाए तो उन्हें किसी भी स्थान पर जो उस वक्त सुलभ लगे वहां पर अंतिम संस्कार हो सके और इसमें कोई बाधा न डाले ऐसे निर्देश पंचायतों को जारी किए जाने चाहिए।
 

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