विपक्ष के विरोध के बावजूद विधानसभा में एफआरबीएम एक्ट संशोधन 2021 पारित

Edited By prashant sharma, Updated: 18 Mar, 2021 03:37 PM

frbm act amendment 2021 passed in vidhan sabha despite opposition

मुख्यमंत्री की गैर हजारी में आज संसदीय कार्य मंत्री की तरफ से सदन में एफआरबीएम एक्ट, राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबन्ध (संशोधन) विधेयक 2021 को चर्चा और पारण के लाया गया, जिसमें कर्ज की सीमा को 3 से 5 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया।

शिमला (योगराज) : मुख्यमंत्री की गैर हजारी में आज संसदीय कार्य मंत्री की तरफ से सदन में एफआरबीएम एक्ट, राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबन्ध (संशोधन) विधेयक 2021 को चर्चा और पारण के लाया गया, जिसमें कर्ज की सीमा को 3 से 5 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया। विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया और इस विधेयक को कैबिनेट और सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग उठाई लेकिन सत्तापक्ष ने विपक्ष की नहीं मानी को विधेयक को पारित कर दिया, जिस पर विपक्ष ने सदन से वाॅकआउट कर दिया। 

विधेयक पर सदन में चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इसको लेकर काफी गहमा गहमी हुई और विपक्ष ने बिल के खिलाफ सदन से वाॅकआउट किया। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आज का दिन हिमाचल के इतिहास में काला दिवस होगा। विपक्ष ने सरकार पर हिमाचल को कर्ज के बोझ में धकेलने के आरोप लगाए और कहा कि डबल इंजन की सरकार फैल हो गई है। केंद्र सरकार प्रदेश को वित्तीय मदद नहीं दे रही है जिसके चलते सरकार तय सीमा से अधिक कर्ज ले रही है जो प्रदेश की भावी पीढ़ी के साथ भी खिलवाड़ है। 

वहीं सीपीएम विधायक राकेश सिंघा ने भी प्रदेश को केंद्र सरकार के समक्ष गिरवी रखने के आरोप लगाए और कहा कि इस विधेयक के पास होने का मतलब है कि केंद्र प्रदेश सरकार के हक को नहीं दे रहा है जिसके चलते सरकार बाहर से कर्ज लेगी। जिसका भुगतान टैक्स से होगा जो सरकार प्रदेश के लोगों से वसूलेगी। इसलिए इस विधेयक का विरोध किया गया है। 

संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने विधेयक पर विपक्ष के वाकआउट को गलत करार दिया और कहा कि हिमाचल प्रदेश में कर्ज लेने की शुरुआत कांग्रेस सरकार के समय में हुई। कांग्रेस सरकार की गलतियों का भुगतान अब प्रदेश के लोगों को करना पड़ रहा है। आज जो कानून सदन में पारित हुआ है उसमें केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद संशोधन किया गया है क्योंकि कैम्पा का पैसा प्रदेश को मिला है जिस वजह से एक्ट में संशोधन आवश्यक था और कांग्रेस सरकार ने भी 2012 से लेकर तय सीमा से अधिक कर्ज लिया जिस वित्तीय विसंगति को भी दूर करना जरूरी था और केवल एक साल के लिए संशोधन किया गया है। विपक्ष ने विधेयक को पढ़ा नहीं और बेबुनियाद आरोप याबी सरकार पर लगाए जा रहे हैं।
 

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