Edited By Vijay, Updated: 27 Jan, 2024 10:09 PM
महाराजा कोठी के कमांद गांव में देवता नारायण और देवता पराशर का पारंपरिक देव मेला धूमधाम से संपन्न हुआ। मेले में सुबह देवता के प्रांगण में 30 फुट की मशालों से जाग जलाई गई। जाग में आग जलाने के पश्चात इसके चारों ओर देवता की गुर द्वारा देव खेल का...
कुल्लू (दिलीप): महाराजा कोठी के कमांद गांव में देवता नारायण और देवता पराशर का पारंपरिक देव मेला धूमधाम से संपन्न हुआ। मेले में सुबह देवता के प्रांगण में 30 फुट की मशालों से जाग जलाई गई। जाग में आग जलाने के पश्चात इसके चारों ओर देवता की गुर द्वारा देव खेल का कार्यक्रम चलता है। देवता नारायण को सिर पर और पराशर देवता का रथ कंधे पर उठाया जाता है। देवता पराशर और देवता नारायण के लोग बीड़ी, तम्बाकू व शराब का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इन गांवों के घरों में तम्बाकू ले जाने वालों को दंड के रूप में जुर्माना देना पड़ता है। 5 वर्ष पूर्व देवताओं ने मेले में शराब पर पाबंदी लगाई थी, जो अब तक सफलतापूर्वक चल रही है।
देवता के हारियान सुख राम ने बताया कि सिंधार नाम का राक्षस था, जिसे देवता पराशर ने पराजित किया था। इसी उपलक्ष्य में इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में खड़ीहार, बाराहार व मौहल क्षेत्र के लोग शिरकत करते हैं। इस दौरान मुथल, करेरी, खलोगी व कमांद के लोग रात को 1 बजे के करीब मशाल जलाकर अश्लील जुमले गाकर कमांद में पहुंचते हैं। अश्लील जुमलों से आसुरी शक्ति क्षीण हो जाती है। उन्होंने कहा कि सुबह 4 बजे के करीब देवते के प्रांगण में जाग को जलाया जाता है। कमांद गांव के लोग लकड़ियां इकट्ठी करते हैं और उसे खड़ा किया जाता है जोकि 25 से 30 फुट के करीब होती है। मशालों के साथ देवता नारायण का गुर उसको जलाता है और इस दौरान देवता के गुर देव खेल करते हैं और दोनों देवता के रथ जाग के चारों ओर हुलकी करते हैं।
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