पेन डाउन स्ट्राइक को पूरा समर्थन देगा कर्मचारी महासंघ : ठाकुर

Edited By prashant sharma, Updated: 22 Nov, 2020 05:03 PM

employees federation will give full support to pen down strike thakur

हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर किए जा रहे आंदोलन का समर्थन किया है। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष एनआर ठाकुर ने कहा की पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा महासंघ की प्राथमिकता है

मंडी (पुरुषोत्तम शर्मा) : हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर किए जा रहे आंदोलन का समर्थन किया है। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष एनआर ठाकुर ने कहा की पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा महासंघ की प्राथमिकता है और महासंघ ने उसे सरकार को सौंपे गए 56 सूत्री मांग पत्र पर पहले नंबर पर रखा है। 56 सूत्री मांग पत्र सरकार को सौंपे हुए 1 वर्ष से ज्यादा का समय हो गया लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि सरकार के पास कर्मचारियों के लिए संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक बुलाने का भी समय नहीं है। जिसके चलते न केवल पुरानी पेंशन बहाली बल्कि अन्य कर्मचारियों से जुड़ी ज्वलंत समस्याओं का भी समाधान नहीं हो सका है।

ठाकुर ने प्रदेश के समस्त कर्मचारियों से आह्वान किया है कि वे पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को लेकर एकजुट हो जाएं और सांझा लड़ाई लडने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाकर हल करवाने की भी जरूरत है। हालांकि राज्य सरकार भी अपने स्तर पर अपने कर्मचारियों के लिए इस फैसले को लेने के लिए अधिकृत हैं। कर्मचारी 58 वर्ष तक सरकार की सेवा करने के बाद अगर बिना पेंशन के घर जाए तो वह उसकी सामाजिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है और यह उस सरकार के लिए भी शर्म की बात है जिसने कर्मचारी से लंबे समय तक काम तो लिया लेकिन बुढ़ापे में सामाजिक सुरक्षा मुहैया करवाने से मुखर गई। हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ पुरानी पेंशन बहाली के लिए दृढ़ संकल्प है और हमेशा इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है।

हर तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार

उन्होंने कहा कि 24 नवंबर को पेन डाउन स्ट्राइक की कॉल अगर पुरानी पेंशन बहाली संगठन द्वारा की गई है तो अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ पूरी तरह से इन कर्मचारियों के साथ खड़ा है और जब चाहे जहां चाहे महासंघ के पदाधिकारी इस मुद्दे को बहाल करने के लिए हर तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार है। महासंघ के लिए पुरानी पेंशन का मुद्दा तो प्राथमिकता है ही लेकिन हर वह मांग प्राथमिकता के आधार पर उठाई जा रही है जिससे कर्मचारियों की अस्मिता वह स्वाभिमान जुड़ा हुआ है। आज विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेता चुनाव जीतने के बाद अपनी पेंशन, भत्ते और वेतन को तो सुरक्षित कर लेते हैं और उन्हें समय-समय पर संशोधित करने के लिए भी एकजुट होकर बिल पास करवाते रहते हैं लेकिन कर्मचारियों को जब उनके अधिकारों को देने की बात आती है तो सरकारें आनाकानी करने लगती है।

सरकारों के लिए कर्मचारी मुद्दे गौण हो गए

आज सरकारों के लिए कर्मचारी मुद्दे गौण हो गए हैं। अगर वोट बैंक की राजनीति नहीं होती तो वह कर्मचारियों को जो हक हकूक मिले हैं उन्हें भी छीन लेते। कर्मचारी अधिकारों का हनन इसलिए भी हो रहा है कि आज कर्मचारी संगठित नहीं है। बहुत से कर्मचारी नेता सरकारों के पिछलग्गू बने हुए हैं। अपने आकाओं के स्तुति गान में मशगूल रहते हुए कर्मचारी मुद्दों की पैरवी गंभीरता से नहीं कर पाते हैं। जो कर्मचारी नेता ईमानदारी से प्रयास करते भी हैं उनकी कर्मठता और उनके इमानदारी से किए जा रहे प्रयासों को भी यह स्वयम्भू लोग प्रश्नचिन्ह लगाने की कोशिश करते रहते हैं। आज हमें ऐसे अवसरवादी और मौसमी कर्मचारी नेताओं से भी बचना होगा। ठीक नेता का चुनाव, बेहतर तालमेल और सटीक सोच के चलते ही हम कर्मचारी मुद्दों और ज्वलंत समस्याओं का समाधान ढूंढ पाएंगे।
 

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