मझीन के कई गांवों में सिग्नल न होने से छात्र खुले में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर

Edited By prashant sharma, Updated: 01 Feb, 2022 10:53 AM

due to lack of signal in mazhin students are forced to sit in open and study

कोरोना की तीसरी लहर में कॉलेजों-स्कूलों के विद्यार्थियों की पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है। इंटरनेट की स्पीड धीमें व सिग्नल न होने से छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सिग्नल न होने से छात्र खुले में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

ज्वालामुखी (नितेश) : कोरोना की तीसरी लहर में कॉलेजों-स्कूलों के विद्यार्थियों की पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है। इंटरनेट की स्पीड धीमें व सिग्नल न होने से छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सिग्नल न होने से छात्र खुले में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। शिक्षकों द्वारा दिए गए शैक्षिक वीडियो पूरा देखने से पहले ही कंपनी की ओर से मैसेज आ जाता है कि आप 80 फीसदी डेटा उपयोग कर चुके हैं। ऐसे बीच में पढ़ाई रुकने से पूरा शेड्यूल गड़बड़ा जाता है। फिर फोन कॉल करके ही शिक्षकों से पूछना पड़ता है। ये समस्या कई कॉलेज व स्कूलों के विद्यार्थियों ने बयां की है।

ज्वालामुखी के साथ लगते इलाके मझीन, कोटू ढोरियां, चौकी ढोरियाँ, भरेड, बाग, घट्टा, भटाल, मतरेहड़, डल, सूदरलाहड़ में मोबाइल इंटरनेट सिग्नल समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। यहां हर दिन बच्चों की क्लासेज इंटरनेट नहीं होने से छूट रही हैं। यही नहीं छात्रों ने कितनी ही बार इनको लेकर संबंधित सिम कार्ड की कम्पनियों के पास कस्टमर केयर के जरिए रिपोर्ट भी दर्ज करवाई है लेकिन हालात जस के तस है। 11वीं कक्षा के छात्र मुकुल कुमार ने बताया कि सिग्नल न मिलने से ठंड में भी खुले आंगन में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। आधे या एक घंटे निर्बाध पढ़ाई नहीं है। माध्यमिक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं खासतौर पर हाई स्कूल व इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए बोर्ड परीक्षा की तैयारी करवाई जा रही है। मगर लड़खड़ाती इंटरनेट स्पीड ने ऑनलाइन पढ़ाई की रफ्तार को कम कर दिया है।

बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ अब अभिभावकों को उनकी सुरक्षा का भी डर सताने लग गया है, क्योंकि प्रदेश शिक्षा विभाग की हर घर पाठशाला मुहिम के तहत बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रही है। लेकिन सरकार इस बात से अनभिज्ञ नजर आ रही है कि अभी भी प्रदेश में ऐसे कई गांव है जहां इंटरनेट का सिग्नल ही नहीं पहुंच पाया है। जिसके कारण अभी भी अधिकतर स्कूली बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए अपने गांव से कहीं दूर वीरान पहाड़ियों में जाकर इंटरनेट का सिग्नल तलाशना पड़ता है। जहां उन्हें जंगली जानवरों का डर सताता है। बीएसएनएल के एसडीओ अक्षय कुमार ने बताया कि कई गांवों में सिग्नल की समस्या पेश आ रही है, यह मामला उनके ध्यान में नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह की समस्या यहां पेश आ रही है तो इसकी जानकारी ली जाएगी व यहां पेश आ रही खामियों को दूर किया जाएगा।
 

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