Edited By prashant sharma, Updated: 11 Feb, 2021 04:38 PM
राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश महासचिव व जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष लेखराज ठाकुर ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पर तीखा हमला बोला है। व्यक्तिगत पारिवारिक वेदना से आहत और प्रताड़ित लेखराज ठाकुर ने कहा कि धूमल की सियासत का इतिहास रहा है
सुजानपुर : राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश महासचिव व जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष लेखराज ठाकुर ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पर तीखा हमला बोला है। व्यक्तिगत पारिवारिक वेदना से आहत और प्रताड़ित लेखराज ठाकुर ने कहा कि धूमल की सियासत का इतिहास रहा है कि उन्होंने भाई से भाई और परिवार में लड़ाई डलवाकर अपनी सियासत को परवान चढ़ाया है। लेखराज ठाकुर ने मिसाल देते हुए कहा है कि जो स्वर्गीय जगदेव चंद ठाकुर धूमल को राजनीति में लेकर आए थे उन्हीं के परिवार को दो फाड़ करके प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने अपनी राजनीति साधी है और अब मेरे परिवार को दो फाड़ करने की साजिश और षड्यंत्र रचकर धूमल व अनुराग ने अपनी गंदी सियासत का परिचय दिया है। अपनों से अपनों को लड़ाकर तमाशा देखने वाले धूमल परिवार की राजनीति ने अब मेरे बेटे को मुझ से दूर करने की साजिश रची है। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत और सियासी तौर पर सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा के साथ जुड़े हैं। इसलिए मेरे परिवार में जहर के बीज बो कर धूमल परिवार मेरे सामाजिक व पारिवारिक जीवन को तहस-नहस करने पर तुला है।
लेखराज ठाकुर ने कहा कि हमीरपुर की राजनीति में आपसी बैर-विरोधों के जनक धूमल समाज के भाईचारे के लिए घातक राजनीति करते हैं। जिसके कारण अब हमीरपुर के साथ हिमाचल के परिवारों में बैर-वैमनस्य का माहौल बनता जा रहा है, जो कि समाज के लिए नासूर बन कर समाज में जहर फैला रहा है। उन्होंने कहा कि नाम के प्रेम और आदत से बैर-वैमनस्य के अविष्कारक प्रेम कुमार धूमल उन्हें अब उनके बेटे को उनसे दूर करने की साजिश की है। जिसका जवाब प्रदेश की जनता पिछले विधानसभाओं में पिता को दे चुकी है और आने वाले विधानसभाओं में पुत्र को देगी यह निश्चित है। ठाकुर ने कहा कि 1998 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद बैर भाव की राजनीति के जनक प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने सूबे में सबसे लंबे अरसे तक बने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ अनेक झूठे मामले बनवाकर सत्ता का दुरुपयोग किया। प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है कि राजनीतिक प्रतिशोध में राजनीतिक विरोधियों को दुश्मन मानने की राजनीति किसने और किसके राज में शुरू हुई थी।