ये है स्व. डॉक्टर येशी ढोंडेन का वो छोटा-सा क्लीनिक, जहां होता था कैंसर का इलाज

Edited By Vijay, Updated: 26 Nov, 2019 08:23 PM

clinic of late doctor yeshi dhonden

मैक्लोडगंज में स्थापित यह है वो कैंसर के इलाज का क्लीनिक जहां स्व. डॉक्टर येशी ढोंडेन से अपॉइंटमैंट लेने के लिए कभी बड़े-बड़े राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक को खुद फोन खड़काने पड़ते थे। यह है वो छोटा सा कुटीर जहां मानव शरीर के सबसे बड़े रोग कैंसर का...

धर्मशाला (नृपजीत निप्पी): मैक्लोडगंज में स्थापित यह है वो कैंसर के इलाज का क्लीनिक जहां स्व. डॉक्टर येशी ढोंडेन से अपॉइंटमैंट लेने के लिए कभी बड़े-बड़े राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक को खुद फोन खड़काने पड़ते थे। यह है वो छोटा सा कुटीर जहां मानव शरीर के सबसे बड़े रोग कैंसर का कुछ दिनों में ही स्वास्थ्यवर्धक इलाज होता था। यह छोटा-सा क्लीनिक उन बड़े-बड़े अस्पतालों के लिए भी आईना है जहां लाखों रुपए लेकर भी कैंसर पीड़ितों के बचने की उम्मीद महज न के बराबर होती थी जबकि डॉक्टर येशी ढोंडेन के पास पहुंचने वाला हर वो मरीज चाहे वो किसी भी स्टेज पर ही क्यों न हो उसका इलाज होकर ही रहता था।
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मरीजों को 3-3 महीनों तक करना पड़ता था बारी का इंतजार

शायद यही वजह थी कि यहां 3-3 महीनों तक मरीजों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था। यहां हॉलीवुड स्टार रिचर्ड गेयर से लेकर, राजकपूर, आदेश श्रीवास्तव और विदेश की कई नामी हस्तियां भी येशी से इलाज करवा चुकी हैं। हालांकि वो इससे पहले दलाईलामा के ही निजी डॉक्टर थे। दलाईलामा ने 20 साल सेवाएं लेने के बाद उन्हें दूसरे लोगों को भी सेवाएं देने का आग्रह कर खुद से रिटायर कर दिया था।
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जापान की एक कंपनी के सीईओ की ठुकरा दी थी पेशकश

डॉक्टर येशी ढोंडेन के पड़ोसी दिनेश कपूर की मानें तो उनके निवास के साथ ही उनका घर और होटल है, जहां बड़ी-बड़ी हस्तियां आकर रुकती थीं। उन्होंने ढोंडेन की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से जुड़ा वो भी खुलासा किया जिससे जाहिर होता है कि येशी वाकई में मानव समाज की सबसे बड़ी मिशाल थे। येशी ने जापान की एक कंपनी के सीईओ की उस पेशकश को ठुकरा दिया था, जिसमें उन्हें विशेष चार्टड प्लेन के जरिये जापान आकर उनका इलाज करवाने का आग्रह किया था।
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भारत सरकार ने दिया था देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक का सम्मान

स्थानीय लोगों की जुबां पर येशी ढोंडेन के कई किस्से हैं जो उनकी महानता को बयां करते हैं। शायद यही वजह है कि वर्ष 2018 में भारत सरकार को भी डॉक्टर येशी ढोंडेन को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित करना पड़ा था।
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शुक्रवार को बौद्ध रिति रिवाजों से होगा अंतिम संस्कार

आज डॉक्टर येशी ढोंडेन इस दुनिया में नहीं रहे, बावजूद इसके उनके चाहने वालों का उनके निवास स्थान पर तांता लगना शुरू हो चुका है। इतना ही नहीं, विदेशों से भी कई लोग आने शुरू हो गए हैं। अगले तीन दिनों तक येशी ढोंडेन का शव अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया है, जिनका शुक्रवार को बौद्ध रिति रिवाजों के मुताबिक अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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