Edited By Kuldeep, Updated: 01 Jul, 2024 05:10 PM
जिला चम्बा के पांगी में दुर्लभ बर्फानी तेंदुआ व ब्राऊन बयर की मौजूदगी दर्ज की गई है। घाटी के सेचू में लगाए गए वन्य प्राणी ट्रैप कैमरों में बर्फानी तेंदुए की तस्वीरें कैद हुई हैं। साथ ही इसी श्रेणी में शामिल भूरा भालू भी कैमरे में नजर आया है।
चम्बा (रणवीर): जिला चम्बा के पांगी में दुर्लभ बर्फानी तेंदुआ व ब्राऊन बयर की मौजूदगी दर्ज की गई है। घाटी के सेचू में लगाए गए वन्य प्राणी ट्रैप कैमरों में बर्फानी तेंदुए की तस्वीरें कैद हुई हैं। साथ ही इसी श्रेणी में शामिल भूरा भालू भी कैमरे में नजर आया है। जिले में ऐसा चौथा मौका है जब यहां बर्फानी तेंदुआ देखा गया है। इससे पहले भरमौर के कुगती वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी एरिया में वर्ष 2006 में बर्फानी तेंदुए की मौजूदगी पाई गई थी। बर्फानी तेंदुए और भूरे भालू विश्व के कुछ देशों में ही पाए जाते हैं। खास बात यह है कि बर्फानी तेंदुआ हिमाचल प्रदेश का स्टेट एनिमल भी है। डीएफओ वाइल्ड लाइफ कुलदीप ने बर्फानी तेंदुए तथा भूरे भालू की मौजूदगी की पुष्टि की है। विश्व भर में बर्फानी तेंदुआ प्रजाति की संख्या 5000 से भी कम है, वहीं भारत में इनकी संख्या महज 200 से 500 तक है।
पांगी घाटी में इस विलुप्त हो रही प्रजाति का संरक्षित होना बड़ी बात है। कुछ समय से डा. राठौर पांगी घाटी में भूरे भालू और बर्फानी तेंदुए को लेकर शोध कार्य में जुटे थे। भूरा भालू भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची एक में शामिल है। भूरे भालू की आबादी जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में 23 संरक्षित क्षेत्रों में है। काला भालू समुद्र तल से दो हजार मीटर की ऊंचाई से नीचे रहना पसंद करता है। फसलों को नुक्सान पहुंचाने के साथ-साथ झुंड में रहना इसकी आदत में शुमार है जबकि भूरा भालू आमतौर पर समुद्र तल से 2500 मीटर की ऊंचाई से नीचे कभी नहीं आता है। यह झुंड के बजाय अकेला ही रहता है। मात्र प्रसव के दौरान ही यह झुंड में रहता है। भूरे भालुओं में मात्र 10 फीसदी ही मांसाहारी होते हैं जबकि 90 फीसदी भोजन के रूप में जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते हैं। यह जानवर बहुत दुर्लभ और हिमाचल का गौरव है।