Edited By Vijay, Updated: 24 Dec, 2024 05:21 PM
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती 25 दिसम्बर को मनाई जाएगी। यह एक ऐसा अवसर है जब हम देश के उस महान नेता को स्मरण करेंगे...
शिमला: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती 25 दिसम्बर को मनाई जाएगी। यह एक ऐसा अवसर है जब हम देश के उस महान नेता को स्मरण करेंगे, जिसने आजाद भारत के अन्दर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। भारत आजादी के बाद केवल और केवल कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में था, क्योंकि 1947 से पहले आजादी का नेतृत्व मोहन दास कर्मचन्द गांधी के हाथ में था और कांग्रेस पार्टी अर्थात राजनीति दल न होकर आजादी का आन्दोलन था परन्तु 1947 के बाद कांग्रेस का नेतृत्व स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू के हाथ में आया, उन्होंने आजादी की उस लड़ाई को अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकारों को निरन्तर बनाने में उसका उपयोग किया। अटल बिहारी वाजपेयी पहले वो शख्स बने, जिन्होंने भारतीय चिन्तन, भारतीय विचार, भारतीय सोच, भारतीय दृष्टिकोण को लेकर सरकारें चलनी चाहिए इस बात की पैरवी की। डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा खड़े किए गए भारतीय जनसंघ का नेतृत्व 1950 के दशक में अटल बिहारी वाजपेयी के हाथ में आया और 1957 में पहली बार लोकसभा में सांसद के रूप में पहुंचे।
विरोधी भी सुनते थे वाजपेयी का भाषण
जब तक अटल बिहारी वाजपेयी जीवित रहे सक्रिय राजनीति में रहे। उनकी जो आभा थी, वाककला थी, भाषणकला थी और जो कवि हृदय था, उसने पूरे देश को बरबस अपनी ओर आकर्षित किया। चाहे किसी भी पार्टी से सम्बन्ध रखने वाला व्यक्ति हो या सामान्य समाज के व्यक्ति हो, वे अटल जी को सुनने के लिए ललायित रहता था। जगह-जगह उनके कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भाग लेते थे जो भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना नाता नहीं रखते थे, अपितु विरोधी भी अटल जी को सुनते थे। उनकी गुणवता के कारण ही विपक्ष का नेता रहते हुए उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व यूएनओ के अन्दर किया। भारतीय भाषा अर्थात हिन्दी के प्रति उनका जो स्नेह, लगाव और भारत का विकास भारतीय भाषाओं के माध्यम से ही होगा यह दृढ़ निश्चिय उनके मन में था। जिसके कारण जब वह यूएनओ में गए तो पहली बार भारत के किसी राजनेता ने, किसी अधिकारी ने विश्व पटल पर हिन्दी का उपयोग करते हुए अपनी बात को रखा।
आपातकाल के दौरान जेल में रहकर किया देश का नेतृत्व
1975 में जब इन्दिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया और हजारों लाखों लोगों को काल कोठरी के पीछे डाल दिया, उस समय में अटल जी, अडवाणी जी और भारतीय जनसंघ के सभी वरिष्ठ नेताओं को जेल में डाला गया। अटल जी ने उस समय देश का जेल में रहते हुए नेतृत्व किया और लोकतन्त्र जीवित रहना चाहिए इसके लिए अपना, अपनी पार्टी, अपना दल इसका विलय जनता पार्टी में स्वीकार किया, अनेक पार्टियों को मिलाकर जनता पार्टी बनी, 1977 में जो चुनाव हुआ उसमें पहली बार देश में गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ। मुरारजी भाई देसाई उसके प्रथम प्रधानमंत्री बने और विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ने देश का नेतृत्व किया। अढ़ाई साल के अन्दर वैचारिक मतभेद होने पर वह पार्टी टूट गई और भारतीय जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी में परिवर्तित हुआ। इस प्रकार 6 अप्रैल, 1980 को भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी उसके पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
2 सांसदों वाली पार्टी को 200 सीटों तक पहुंचाया
अटल जी के नेतृत्व में और अटल-अडवाणी की जोड़ी ने इस पार्टी को तेज गति से बढ़ाना शुरू किया। कांग्रेस पार्टी के तत्कालिक नेता भारतीय जनता पार्टी के ऊपर हंसा करते थे, खिल्ली उड़ाया करते थे कि दो सांसदों वाली राष्ट्रीय पार्टी भारतीय जनता पार्टी है परन्तु अटल और अडवाणी की जोड़ी ने इसको 1996 तक लगभग 200 सीटों तक पहुंचाकर पहली बार प्रधानमंत्री की कुर्सी को माननीय अटल जी ने शोभायमान किया और किस प्रकार का व्यक्तित्व है, किस प्रकार का चरित्र वो रहा, यह अनुमान सहज में लगाया जा सकता है। जब एक वोट की कमी से Floor Of The House पर अटल जी की सरकार गिर जाती है तो वह और तोड़फोड़ नहीं करते, वो कोई व्यापार नहीं करते वो Horse Trading नहीं करते और वस्तुस्थिति पूरे देश के सामने रखते हुए अपना त्यागपत्र दे देते हैं।
भारत को आणविक शक्ति बनाने का किया काम
वर्ष 1997-98 में देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद भारत को आणविक शक्ति बनाने का काम यदि किसी व्यक्ति ने किया तो उसका नाम अटल बिहारी वाजपेयी है। 11 मई, 1998 में पोखरण में एक के बाद एक तीन विस्फोट करने के बाद भारत का आणविक परीक्षण पूरा हुआ। दुनिया ने भारत के ऊपर प्रतिबन्ध लगाए भारत के ऊपर दबाव डाला गया कि भारत आणविक शक्ति नहीं बनेगा। अटल जी ने पूरी हिम्मत के साथ दुनियां के इन प्रतिबन्धों का मुकाबला किया और कहा भारत शक्तिशाली बनेगा और बनकर रहेगा। भारत आणविक शक्ति बना तो उसके पीछे अटल बिहारी वाजपेयी हैं।
गांवों के विकास के प्रति पूरी तरह सजग व चिन्तित थे वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी गांवों के विकास के प्रति पूरी तरह सजग व चिन्तित थे। केन्द्र से मिलने वाली धनराशि राज्यों को और ग्रामीण सड़कों के विकास के लिए जाया करती थी, परन्तु राज्यों की आर्थिक स्थितियां अच्छी न होने के कारण राज्य उन सड़कों के पैसों को सड़कों पर न लगाकर अन्य मदों में प्रयोग किया करते थे। अटल जी ने इस बात को गम्भीरता से लेते हुए "प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना" को जन्म दिया। यह योजना अर्थात एक सड़क बनेगी जो गांव को पूरी तरह से छुएगी और पक्की सड़क होगी, जिसका शत-प्रतिशत व्यय केन्द्र की सरकार देगी और मैंटीनैंस भी केन्द्र की सरकार करेगी। मुझे अच्छे से याद है पहले ही चरण में 64 हजार करोड़ रुपए वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के लिए रखा गया। यह इतनी बड़ी राशि थी कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पर्क मार्गों का एक जाल बिछना शुरू हो गया और आज यदि हम देखें तो कोई भी राज्य ऐसा नहीं है जो इन सम्पर्क मार्गों का लाभ नहीं उठा रहा और यह ग्राम सड़क योजना सबसे अधिक पापुलर योजना बनी। इसी प्रकार अटल जी की सरकार में खाद्यान का उत्पादन बहुत बढ़ा और खाद्यान को गरीब तक पहुंचाने का काम शुरू हुआ।
2001 में अंत्योदय अन्न योजना का हुआ प्रारम्भ
वर्ष 2001 में अंत्योदय अन्न योजना का प्रारम्भ अटल जी की सरकार में शान्ता कुमार द्वारा किया गया। ये अन्न योजना गरीबों के लिए कल्याणकारी योजना के रूप में खड़ी हुई। हम ऐसी अनेक अनेक योजनाओं का वर्णन कर सकते हैं, जो अटल जी ने मेरे देश के भाग्य को बदलने के लिए दी और इसका परिणाम हुआ कि देश निरन्तर गति से आगे बढ़ा। अटल जी स्वदेशी के प्रति पूरी तरह सजग थे। अटल जी भारतीय भाषाओं संस्कृत, भारतीय संस्कृति और भारत की जो सांस्कृतिक विरासत है, उसको लेकर सदैव उसके प्रति सजग थे। यह एक ऐसा व्यक्तित्व आजादी के बाद के समय में भारत की राजनीति का जो विशिष्ट लेकर खड़ा हुआ वो अटल बिहारी वाजपेयी जी थे। हम उनके श्री चरणों में नमन करते हैं और उनको श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।
कारगिल का युद्ध देश के लिए बना मिसाल
कारगिल का युद्ध देश के लिए एक मिसाल बना, जब अटल जी स्वयं बॉर्डर पर पहुंचे और भारत के सैनिकों का मनोबल बढ़ाया। अमेरिका को दोटूक कहा कि जब तक एक भी पाकिस्तानी भारत की सीमा में है युद्ध बन्दी नहीं होगी और न ही कोई वार्ता। सैनिकों को मिलने वाले सम्मान का स्वरूप बदला गया। सीमा पर अपना बलिदान देने वाले वीर जवानों की शहादत को सलाम किया जाने लगा। अटल जी का जीवन प्रेरणादायक है। उनका यह कथन आज भी हमें संबल देता है:
"अटल चुनौती अखिल विश्व को भला बुरा चाहे जो माने,
डटे हुए हैं राष्ट्र धर्म पर विपदाओं में सीना ताने।"