Edited By Punjab Kesari, Updated: 22 Feb, 2018 11:39 AM
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने वर्ष 2002 में जिस प्रपत्र पर बी.पी.एल. परिवारों का सर्वेक्षण करवाया था, उसी प्रपत्र का प्रयोग विभाग द्वारा वर्ष 2018 में किया जा रहा है।16 वर्ष बीत जाने के बाद 3 बार सरकारें बदल गईं लेकिन विभाग का सर्वेक्षण...
डाडासीबा : ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने वर्ष 2002 में जिस प्रपत्र पर बी.पी.एल. परिवारों का सर्वेक्षण करवाया था, उसी प्रपत्र का प्रयोग विभाग द्वारा वर्ष 2018 में किया जा रहा है।16 वर्ष बीत जाने के बाद 3 बार सरकारें बदल गईं लेकिन विभाग का सर्वेक्षण प्रपत्र नहीं बदला। वर्ष 2002 के अंदर बी.पी.एल. में उस परिवार को अपात्र माना गया था, जिसकी मासिक आय 2500 रुपए से अधिक थी। मासिक आय में 16 वर्ष वाद भी विभाग ने कोई बदलाव नहीं किया है जोकि कई तरह के प्रश्न खड़े करता है।
बी.पी.एल. जनगणना प्रपत्र पर यह सवाल पूछा जा रहा
ऐसा उस सी.एम. के कार्यकाल में हो रहा है जोकि इस विभाग के स्वयं मंत्री रह चुके हैं। बी.पी.एल. परिवारों की स्टीक जनगणना के लिए जिस प्रपत्र का सहारा लिया जा रहा है उसमें कई तरह के बेतुके व अटपटे प्रश्नों का जवाब ग्रामीणों को देना होगा लेकिन इन प्रश्नों के जवाब आने से पहले सरकार स्वयं इस प्रपत्र के अंदर घिरती हुई नजर आ रही है। केंद्र की मोदी सरकार ने इंदिरा आवास योजना को बंद कर दिया है लेकिन हिमाचल प्रदेश के अंदर बी.पी.एल. जनगणना प्रपत्र पर यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत मकान बनाने के लिए भूमि उपलब्ध है। गरीब परिवारों की पहचान के लिए विभाग द्वारा 13 कॉलम का प्रपत्र तैयार किया गया है जिसमें गरीब लोगों से 5 तरह के 13 बार वैकल्पिक सवाल पूछे जाएंगे।