Edited By Vijay, Updated: 23 May, 2019 08:28 PM
कहते हैं कि वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता, वक्त कुछ भी दिखा सकता है, हमेशा अच्छे-बुरे वक्त को याद रखना चाहिए क्योंकि सदा किसी की नहीं रहती। मंडी संसदीय क्षेत्र से आए चुनाव परिणाम से तो यही बात चरितार्थ होती है। 1952 से लेकर 2014 तक मंडी संसदीय सीट पर...
मंडी (नीरज): कहते हैं कि वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता, वक्त कुछ भी दिखा सकता है, हमेशा अच्छे-बुरे वक्त को याद रखना चाहिए क्योंकि सदा किसी की नहीं रहती। मंडी संसदीय क्षेत्र से आए चुनाव परिणाम से तो यही बात चरितार्थ होती है। 1952 से लेकर 2014 तक मंडी संसदीय सीट पर जीत का रिकॉर्ड पंडित सुखराम के नाम था जो उन्होंने 1996 में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर भाजपा के उम्मीदवार अदन सिंह को हरा कर बनाया था। उस समय सुखराम की जीत का अंतर 1,53,223 वोटों का था।
इतने बड़े रिकॉर्ड की नहीं थी किसी को उम्मीद
इस बार माना जा रहा था कि मोदी व जयराम के फैक्टर से कोई नया रिकॉर्ड बनेगा लेकिन इतना बड़ा रिकॉर्ड बन जाएगा कि शायद ही यह आने वाले दिनों में भी कभी टूट सकेगा, इसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। पंडित सुखराम ने जो रिकॉर्ड 1996 में बनाया था वह 23 साल बाद रामस्वरूप शर्मा ने तोड़ दिया और वह भी सुखराम के पोते आश्रय शर्मा को रिकॉर्ड मतों से हरा कर तोड़ा है। 2 गुना से भी अधिक वोटों के अंतर से हार कर आश्रय शर्मा ने हार के अंतर का सबसे बड़ा रिकॉर्ड कायम किया है।
भाजपा को रामपुर विस क्षेत्र से मिली 11 हजार से अधिक मतों की लीड
रामपुर विधानसभा क्षेत्र जो मंडी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है, उसमें कभी भी भाजपा को बढ़त नहीं मिली। बढ़त तो दूर यहां से कांग्रेस रिकॉर्ड बढ़त लेती रही है लेकिन पहली बार इन चुनावों में रामपुर से भी 11 हजार से अधिक मतों की लीड भाजपा को मिली, जिससे एक नया इतिहास कायम हुआ है।