Edited By Ekta, Updated: 07 May, 2019 11:29 AM
प्रदेश के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को कांग्रेस में नजर अंदाज किया जा रहा था अब चुनाव के दिनों में उनकी आवश्यकता को देखते हुए उन्हें कहीं नहीं घुमाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी में हो रहे उनके...
सोलन (अमित डोभाल): प्रदेश के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को कांग्रेस में नजर अंदाज किया जा रहा था अब चुनाव के दिनों में उनकी आवश्यकता को देखते हुए उन्हें कहीं नहीं घुमाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी में हो रहे उनके तिरस्कार से वीरभद्र सिंह भलीभांति वाकिफ है। यही कारण है कि वह अप्रत्यक्ष तौर पर भाजपा की इन चुनावों में मदद कर रहे हैं। भारद्वाज के इस बयान के बाद हिमाचल प्रदेश में सियासत गर्म आने के आसार और ज्यादा बढ़ गए हैं।
पत्रकारों के सवालों के जवाब में सुरेश भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा यही लोग जो हैं सक्रिय थे। लेकिन जैसे ही चुनाव आए पार्टी ने वीरभद्र सिंह की जरूरत को समझते हुए उन्हें प्रचार में घुमाना शुरू कर दिया। सोलन में 13 मई को आयोजित होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के लिए आयोजित बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में सुरेश भारद्वाज ने यह बात कही। विधानसभा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल पर चल रही भर्ती घोटाले को प्रदेश सरकार द्वारा न्यायालय में याचिका दायर करने के बाद वापस लेने के सवाल पर सुरेश ने कहा कि यदि इस मामले में कोई नोटिस जारी हुआ होगा तो उसका जवाब दिया जाएगा।
स्कूलों में दी जाने वाली वर्दी को लेकर किए गए सवाल के जवाब में सुरेश भारद्वाज ने कहा कि चुनाव के बाद सभी को स्मार्ट वर्दी दी जाएगी यह मामला विधानसभा में भी उठाया जा चुका है। चुनाव के दौरान बिगड़ रहे नेताओं के बोल पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि आज के समाज में ऐसा माहौल पैदा हो गया है। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसा माहौल पैदा करने के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया उन्होंने कहा कि ऐसे बोला राहुल गांधी नहीं शुरू किए।
विधायक अनिल शर्मा के कांग्रेस में जाने को लेकर किए गए सवाल के जवाब में सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वह शुरू से ही समझौता करते आए हैं। पहले उन्होंने अपने पिता सुखराम के लिए समझौता किया और अब बेटे आश्रय के लिए समझौता करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पंडित सुखराम 90 साल की उम्र में अपने पौधे की जिद को पूरा करने के लिए कांग्रेस में चले गए और पोते के लिए टिकट ले आए। उन्होंने कहा कि पंडित सुखराम व अनिल शर्मा को कांग्रेसमें अपमानित किया गया था और इसी के चलते ही वह भाजपा में शामिल हुए इस अपमान को अनिल शर्मा अभी तक भुला नहीं पाए हैं, लेकिन पंडित सुखराम ने इस मामले में समझौता कर लिया।