जर्मनी के बाद अब ऊना में बनेगी मोरिंगा पाउडर से दवाई, 300 बीमारियों से मिलेगा छुटकारा(Video)

Edited By Ekta, Updated: 12 Dec, 2018 06:14 PM

जर्मनी के बाद अब हिमाचल के ऊना में मोरिंगा की खेती की जाएगी। इससे पहले मोरिंगा की खेती पंजाब के राहों में की जा रही है जिससे बनाने वाले पाउडर को जर्मनी में एक्सपोर्ट किया जाता था। जर्मनी में वेलासिल नाम की कंपनी इस पाउडर से कैप्सूल बनाकर जर्मनी के...

ऊना (अमित): जर्मनी के बाद अब हिमाचल के ऊना में मोरिंगा की खेती की जाएगी। इससे पहले मोरिंगा की खेती पंजाब के राहों में की जा रही है जिससे बनाने वाले पाउडर को जर्मनी में एक्सपोर्ट किया जाता था। जर्मनी में वेलासिल नाम की कंपनी इस पाउडर से कैप्सूल बनाकर जर्मनी के बाजार में बेच रही है। अब वेला इंडिया ने इसी उत्पाद को भारत में भी उतारने की तैयारी कर ली है और मोरिंगा की खेती ऊना जिला में ही की जाएगी। कंपनी प्रतिनिधियों ने बताया कि ऊना की जलवायु मोरिंगा की खेती के लिए बहुत ही लाभदायक है।
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कंपनी के प्रतिनिधि सुरिंदर कैहलों ने बताया कि जर्मनी के मिस्टर हैरी उनसे मोरिंगा का पाउडर लेकर ओषधि तैयार कर जर्मनी में इसकी बिक्री कर रहे हैं। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। कोई भी इसका इस्तेमाल कर सकता है। उन्होंने बताया कि मूलतः यह हिमाचल में उगने वाली ओषधि है। इसलिए हम चाहते है कि इसे हिमाचल के ऊना में ही तैयार किया जाए। मोरिंगा की पत्तियों को 8 घंटे के अंतराल में मशीन में रखकर पाउडर बनाया जाता है फिर इसे कैप्सूल बनाया जाता है। अगर ऊना में कहीं पर मोरिंगा की खेती होती है तो इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल सकेगा। कंपनी का दावा है कि मोरिंगा से बनाई गई ओषधि से 300 तरह की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।
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