इंजीनियरिंग कर अध्यात्म का मार्ग चुना, अब पेंटिंग्स से संस्कृति को संजो रहे किरण सिंह

Edited By prashant sharma, Updated: 04 Mar, 2021 12:52 PM

after engineering chose path of spirituality

एक ऐसा शख्स जिसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन चुना अध्यात्म का मार्ग। उसने अपनी अध्यात्म की भूख को शांत करने का माध्यम पेंटिंग्स को बना लिया है और इसके माध्यम से वह सांस्कृतिक संपदा को संजोने का कार्य कर रहे हैं।

धर्मशाला (ब्यूरो) : एक ऐसा शख्स जिसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन चुना अध्यात्म का मार्ग। उसने अपनी अध्यात्म की भूख को शांत करने का माध्यम पेंटिंग्स को बना लिया है और इसके माध्यम से वह सांस्कृतिक संपदा को संजोने का कार्य कर रहे हैं। अपने आराध्य देव के जो रूप उन्हें स्वप्र में दिखाई देते हैं वह उन्हें अपनी कला के माध्यम से संजीव बना देते हैं। बात कर रहे हैं कर्नाटक के मूल निवासी किरण सिंह की जो पिछले कुछ वर्षों से सिद्धबाड़ी में रह रहे हैं। उनका जन्म 9 जुलाई 1985 को बैंगलोर में हुआ। माता-पिता चाहते थे कि वे पढ़ लिख कर अच्छी सी नौकरी करता। ऐस में किरण ने 2012 में इलैक्ट्रोनिक्स में इंजीनियरिंग भी की और उसके उपरांत कुछ वर्ष संगीत का ज्ञान अर्जित किया। बावजूद इसके उन्होंने अध्यात्मिक जगत को ओर रुख कर लिया। 
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अध्यात्म और दर्शन की राह पर चलते हुए किरण धर्मशाला पहुंचे। यहां पहुंच कर उन्होंने कांगड़ा पेंटिंग भी सीखी, परंतु ज्यादा दिन तक मन नहीं लगा। अब किरन अध्यात्म और दर्शन पर आधारित पेंटिंग बनाते हैं। इनकी कलाकृतियों में शैव दर्शन का प्रतिबिंब भी है। साथ ही हिमाचली संस्कृति की छटा और विभिन्न प्राकृतिक दृश्यों का मनोहारी चित्रण भी। वे भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं और शिव के विभिन्न रूप जो स्वप्न में दिखाई देते हैं उन्हें किरण अपनी तूलिका (पेंटिंग ब्रश) के माध्यम से कैनवास पर संजीव कर देते हैं। निःसंदेह उनके चित्र अद्भुत हैं। चिंतन की अथाह गहराइयों की सैर कराने का सामथ्र्य रखते हैं, लेकिन आवश्यकता है ऐसे कलकारों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन देने की, क्योंकि ये वे लोग हैं जो सांस्कृतिक संपदा को युगों-युगों तक जिंदा रखने का माध्यम बनते हैं। संस्कृति का वाहक बनते हैं। किरण सिंह का कहना है कि उनका सपना है कि वह अपनी कलाकृतियों द्वारा लोक संस्कृति, हिमाचल का प्राकृतिक सौदर्य व जनजीवन की विभिन्न शैलियों को अपने मूल नैसर्गिक रूप में चित्रित करें, क्योंकि ये संस्कृति हिमालय की गोद की संस्कृति है जो मेरे आराध्य देव शिव का घर है।
 

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