एक ऐसा अध्यापक जो सबके लिए बन गया Inspiration

Edited By Vijay, Updated: 06 Sep, 2018 11:04 PM

a teacher who has become an inspiration for everyone

जहां समूचे राष्ट्र में गत बुधवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्व. डा. एस. राधाकृष्णन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर शिक्षक दिवस मनाया गया, वहीं हमीरपुर जिला के नौहंगी गांव में जन्मे दिव्यांग शिक्षक राजेश कुमार का जीवन भी देशवासियों के लिए एक प्रेरणा...

हमीरपुर: जहां समूचे राष्ट्र में गत बुधवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्व. डा. एस. राधाकृष्णन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर शिक्षक दिवस मनाया गया, वहीं हमीरपुर जिला के नौहंगी गांव में जन्मे दिव्यांग शिक्षक राजेश कुमार का जीवन भी देशवासियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। राजेश आजकल जिला के सबसे पिछड़े क्षेत्र जंदड़ू में कम्प्यूटर प्रवक्ता के पद पर आसीन हैं। कहा जाता है कि हाथ की लकीरें किसी व्यक्ति विशेष की तकदीर बनाती और बिगाड़ती हैं लेकिन जिन लोगों के  हाथ नहीं होते उनकी तकदीर कौन लिखता है, यह भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।

बचपन से ही दोनों हाथों से वंचित हैं राजेश
वर्ष 1987 में जिला के नौहंगी गांव में जन्मे राजेश कुमार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। बचपन से ही दोनों हाथों से वंचित राजेश में कुछ कर गुजरने की ऐसी लगन थी कि उन्होंने पैरों से ही लिखकर अपनी तकदीर बना डाली। बचपन में जब उन्हें आभास हुआ कि उनके हाथ नहीं हैं तो उन्होंने पैरों से लिखना शुरू कर दिया। काफी मुसीबतों से जूझने के बावजूद उन्होंने क्षेत्र की राजकीय पाठशाला से 10वीं की परीक्षा पास की। बिना किसी सहायता के अपने पैरों की अंगुलियों में पैन फंसाकर परीक्षा दी तथा सफलता हासिल की।

माता के निधन के बाद भी नहीं हारी हिम्मत
जमा-2 की परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त करने के बाद राजेश ने अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा 2007 पास की तथा उसी के आधार पर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी.) हमीरपुर में कम्प्यूटर विज्ञान में प्रवेश प्राप्त किया। इसी मध्य उनकी माता का निधन हो गया। इस हादसे के बावजूद राजेश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा तथा इस महत्वपूर्ण तकनीकी शिक्षण संस्थान से कम्प्यूटर विज्ञान में बी.टैक. की परीक्षा पास की व आजकल जंदड़ू स्कूल में शिक्षण कार्य कर रहे हैं।

मन से ठान कर लक्ष्य भेदना बड़ा जोखिम नहीं
राजेश का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति मन से लक्ष्य ठान कर अपना कार्य निर्धारित कर ले तो उसके लिए लक्ष्य भेदना बड़ा जोखिम नहीं है। इस बात को लेकर प्रसन्नता है कि खाना, पीना, नहाना, कंघी करना व कम्प्यूटर चलाना इत्यादि रोजमर्रा कार्यों में उन्हें किसी की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती तथा वह पूर्ण मनोबल से अपने विद्यार्थियों को कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

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