एक चीड़ के पेड़ ने बचाई भूटान के 43 सैलानियों की जान

Edited By Updated: 22 Jan, 2017 05:35 PM

a pine tree saved the lives of bhutan  s 43 tourists

जाको राखे साइयां मार सके न कोय। यह कहावत उस समय चरितार्थ हुई जब जिला बिलासपुर के राष्ट्रीय राज मार्ग 21 चड़ीगढ़-मनाली पर स्वारघाट के समीप

बिलासपुर: जाको राखे साइयां मार सके न कोय। यह कहावत उस समय चरितार्थ हुई जब जिला बिलासपुर के राष्ट्रीय राज मार्ग 21 चड़ीगढ़-मनाली पर स्वारघाट के समीप बनेड़ के पास शनिवार देर शाम हुए बस हादसे में एक चीड़ के पेड़ ने भूटान से आए 43 सैलानियों की जिंदगी बचाई। वहीं देर रात टी.वी .चैनल के माध्यम से जब यह खबर भूटान पहुंची तो भूटान के राजा जिग्मे खेसर नाग्याल वांगचुक ने फोन पर पर्यटकों का हालचाल पूछा और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की। जिला प्रशासन ने घायलों को 2500-2500 रुपए की राहत राशि प्रदान की और घायल पर्यटकों को नालागढ़ से दिल्ली पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। नालागढ़ से सभी भूटान के पर्यटकों को भूटान दूतावास दिल्ली भेजा गया है।

ऐसे हुआ था हादसा 
हुआ यूं कि जब बस चढ़ाई चढ़ते समय पीछे हटी 2 पलटे खाने के बाद बस अचानक एक चीड़ के पेड़ से फंस गई और यह चीड़ का पेड़ भूटान के 43 पर्यटकों के लिए वरदान सिद्ध हुआ। हालांकि इस घटना में गंभीर रूप से घायल हुए 11 पर्यटकों को पी.जी.आई. रैफर किया गया है जबकि मामूली रूप से घायल पर्यटकों को प्रशासन ने जहां पर खान पान की व्यवस्था की, वहीं उन्हें रात को फोरैस्ट गैस्ट हाऊस स्वारघाट में ठहराया गया और उन्हें आज सामान सहित नालागढ़  के लिए अपने परिजनों के पास रवाना कर दिया गया 

पर्यटकों ने की जिला प्रशासन व स्थानीय लोगों की सराहना
भूटान से आएं पर्यटको ने जिला प्रशासन, चिकित्सा विभाग और स्थानीय लोगों की खूब सराहना की। उनका कहना था कि हादसे के दौरान प्रशासन द्वारा उन्हें किसी प्रकार की तकलीफ नहीं आने दी गई। यहां तक कि एंबुलैंस द्वारा उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। इसके अलावा उनके खाने-पीने व ठहरने की व्यवस्था भी प्रशासन ने बखूबी की।

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