Edited By Vijay, Updated: 02 May, 2020 09:37 PM
इस समय पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, जिसके चलते देश व प्रदेश में भी लॉकडाऊन/कर्फ्यू लगाया गया है। लॉकडाऊन/कर्फ्यू ने बुजुर्गों के लिए काफी दिक्कतें पैदा कर दी हैं। खासकर उनके लिए जो दिहाड़ी-मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं।
ऊना (सुरेन्द्र): इस समय पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, जिसके चलते देश व प्रदेश में भी लॉकडाऊन/कर्फ्यू लगाया गया है। लॉकडाऊन/कर्फ्यू ने बुजुर्गों के लिए काफी दिक्कतें पैदा कर दी हैं। खासकर उनके लिए जो दिहाड़ी-मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं। ऊना जिला के झलेड़ा गांव में रहने वाले बुजुर्ग अमर सिंह को नहीं पता कि दुनिया में कौन सी बीमारी फैली है। उसे बस इतना पता है कि एक जगह पर ज्यादा लोगों ने एकत्रित नहीं होना है और मुंह पर मास्क लगाकर रखना है।
76 वर्ष की आयु में भी अमर सिंह रोजी-रोटी की तलाश में साइकिल पर निकलते हैं कि कहीं रिपेयर का काम मिल जाए तो कुछ पैसे मिलेंगे, जिससे परिवार का पालन-पोषण हो सकेगा। वह गांव-गांव घूमकर टब, तसलों, ड्रमियों व अन्य सामान की रिपेयर करके अपना गुजारा करता है। अमर सिंह ने बताया कि उसके परिवार में 6 सदस्य हैं।
लॉकडाऊन के कारण कहीं दिहाड़ी भी नहीं मिलती और न ही इतने साधन हैं कि वह घर पर बैठकर आराम से परिवार का पेट पाल सके। उसे लॉकडाऊन के बीच जितना राशन मिला, वह सब खत्म हो चुका है, ऐसे में परिवार का गुजारा करना कठिन है। उसने कहा कि उसे सामाजिक सुरक्षा पैंशन तो लगी है लेकिन उससे गुजारा करना मुश्किल है।