प्रदेश में बागवानों को मिले 40 रुपए तो प्राइवेट कंपनियों ने कमाए 200 रुपए : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 14 Jan, 2021 04:16 PM

40 rupees received by gardeners then private companies earned 200 rupees

सरकार द्वारा निजी तंत्र की पॉलिसी लागू करने के बाद जहां पंजाब, हरियाणा के साथ देश के तमाम राज्यों के किसानों पर गहरा संकट छाया हुआ है, वहीं हिमाचल के बागवान भी अब इस संकट की आशंका से चिंतित हैं।

हमीरपुर : सरकार द्वारा निजी तंत्र की पॉलिसी लागू करने के बाद जहां पंजाब, हरियाणा के साथ देश के तमाम राज्यों के किसानों पर गहरा संकट छाया हुआ है, वहीं हिमाचल के बागवान भी अब इस संकट की आशंका से चिंतित हैं। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष व सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने कही। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र पर निजी तंत्र को हावी-प्रभावी कर रही बीजेपी सरकार के राज में हिमाचल के बागवानों से 40 रुपए किलो खरीदा गया सेब प्राइवेट कंपनियां 250 रुपए किलो में बेच रही हैं। सरकार की नीति के कारण बागवानों को सेब की लागत मूल्य के भी लाले पड़े हुए हैं जबकि हिमाचल के बागवानों से खरीदे गए सेब को प्राइवेट कंपनियों ने 500 फीसदी से भी ज्यादा लाभ कमा कर बेचा है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल से 40 रुपए किलो सेब खरीद कर प्राइवेट कंपनियां मेट्रो सीटी व रीटेल मार्केट में 250 रुपए किलो बेच रही हैं जिससे हिमाचल का किसान खुद को ठगा हुआ व लुटा-पिटा महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि मुनाफाखोर निजी कंपनियों की वकालत कर रही बीजेपी सरकार की इस धांधली को लेकर हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी नौणी के पूर्व वाईस चांसलर विजय ठाकुर बता रहे हैं कि बागवानों से कौडिय़ों के भाव खरीदा गया सेब अब प्राइवेट कंपनियां सोने के भाव बेच रही हैं। ऊपरी हिमाचल के कई बागवानों ने उन्हें बताया कि सरकार के संरक्षण में प्राइवेट कंपनियों का बागवानों पर कसता शिकंजा भविष्य में विदेशी सेब से भी घातक साबित होगा। बागवानों ने बताया कि हिमाचल के किसानों और बागवानों को सरकार की मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए किसानों के आंदोलन का भरपूर समर्थन व सहयोग करना चाहिए क्योंकि अभी तो सेब खरीदने वाली कंपनियों ने बागवानों का शोषण करना शुरू किया है।

कंपनियों जैसे ही मार्केट में अपने रेट खोलती हैं वैसे ही मंडियों में सेब के दाम गिर जाते हैं जैसा कि इस सेब सीजन में भी हुआ है। सरकार की गलत नीतियों के कारण बागवानों को सेब की लागत तक नहीं मिल पा रही है जबकि प्राइवेट कंपनियां 500 फीसदी से ज्यादा तक का मुनाफा वसूल रही हैं। मुनाफाखोरी को बढावा देने में लगी सरकार प्रजातंत्र के साथ किसानों के हितों को भी निगल रही है। सेब हिमाचल की आर्थिकी का एकमात्र आधार हैं और प्रदेश के किसानों की आमदनी का एक बढ़ा जरिया है लेकिन जिस तरह केंद्र सरकार के इशारे पर प्रदेश सरकार ने हिमाचल में प्राइवेट कंपनियों का जाल बिछवाना शुरू किया है उससे निश्चित है कि हिमाचल के बागवानों की आमदनी पर सरकार व कंपनियों की बुरी नजर पड़ चुकी है और अब हिमाचल के बागवानों और किसानों पर भी संकट आने वाला है।
 

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