हिमाचल के अस्पतालों में मुफ्त मिलेंगी 330 किस्म की दवाइयां, पढ़ें खबर

Edited By Punjab Kesari, Updated: 24 Nov, 2017 11:49 PM

330 type of free medicines will get in hospitals of himachal  read news

हिमाचल प्रदेश के अस्पतालों में अब बिना आय सीमा के 330 किस्म की दवाइयां नि:शुल्क उपलब्ध होंगी।

शिमला: हिमाचल प्रदेश के अस्पतालों में अब बिना आय सीमा के 330 किस्म की दवाइयां नि:शुल्क उपलब्ध होंगी। इन दवाइयों को नई स्वास्थ्य नीति इंदिरा गांधी नि:शुल्क दवाई योजना के तहत उपलब्ध करवाया जाएगा। जोनल व रीजनल अस्पतालों में सभी 330 दवाइयां नि:शुल्क मिलेंगी जबकि कम्युनिटी हैल्थ सैंटर (सी.एच.सी.) और कम्युनिटी सैंटर (सी.एच.) में 216, प्राइमरी हैल्थ सैंटर (पी.एच.सी.) में 106 तथा हैल्थ सब सैंटर (एच.एस.सी.) में 43 दवाइयां नि:शुल्क उपलब्ध हो सकेंगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश मंत्रिमंडल की तरफ से 5 सितम्बर को नई स्वास्थ्य नीति को मंजूरी दी गई थी, जिसमें दवाइयों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए बजट में 71 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सरकार की तरफ से इस आशय संबंधी अधिसूचना को जारी कर दिया गया है। लिहाजा ऐसे में स्वास्थ्य संस्थानों में नि:शुल्क दवाइयांं उपलब्ध करवाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। अधिसूचना के अनुसार डीएडिक्शन, अवसाद से निजात दिलाने, एंटी वायरल, एंटी फंगल, एंटी प्रोटोजोल, एंटी माइग्रेन तथा एंटी बैक्टीरियल दवाइयों को नि:शुल्क दिया जाएगा। हालांकि दवाइयों की सूची में कैंसर और हृदय रोग के उपचार में आने वाली दवाइयां शामिल नहीं हंै। 

नि:शुल्क मिलने वाली प्रमुख दवाइयां
सरकार की तरफ से 330 किस्म की दवाइयां नि:शुल्क देने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत बीटा लैक्टम मैडीसिन, एंटी बैक्टीरिया, एंटी फंगल, एंटी प्रोटोजोल, एंटी माइग्रेन, एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल, एंटी-पॢकसिंसिस, खून को बढ़ाने वाली, एंटी अनीमिया, कैरिओवास्कुलर, एंटी एंजिनल, एंटी हाईपरटैंशन, दिल का दौरा पडऩे पर प्रयोग में आने वाली दवा, एंटी थ्रोम्बोलीटिक, एंटी फाइब्रिनोलायटिक एंड प्रैशर एजिंट, डेमेटोलॉजिकल, त्वचा संबंधी दवा, एंटी इनफॉक्टिव, एंटी सिस्टिक्स, गैस्ट्रोइटेस्टिनल, एंटासिड और अन्य एंटीलसर दवाइयांं, एंटीमैटिक, एंटी हेमोराहाइडल, एंटी स्पास्मोडिक, पेट खराब होने पर दी जाने वाली दवा, हार्मोन, इंसुलिन और अन्य एंटीबायोटिक, ओव्यूलेशन इंडिकर्स, प्रोजेस्टोगेंस, थायराइड हार्मोन, सीरा और इम्युनोग्लोबिन, ऑफथैल्कोलॉजिकल, एंटी इन्फ्लोमाटमेंट एजिंट, एमियोटिक्स और एंटिग्लौकोमा दवाइयां, मैड्रिटिक्स, ई.एन.टी. की दवाइयां, ऑक्सीटोक्सिक्स, एंटी ऑक्सीओटिक्स और मनोरोग संबंधी दवाइयां शामिल हैं। राज्य में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पहले भी करीब 5 दर्जन दवाइयों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाने के आदेश दिए गए थे लेकिन कई बार इनके न मिलने की शिकायतें मिलती रही हैं। ऐसे में दवाइयों की संख्या को बढ़ाने से इन्हें उपलब्ध करवाने के लिए सरकार को मशक्कत करनी पड़ेगी। कई दवाइयां राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत भी उपलब्ध होनी हैं। ऐसी दवाइयों को भी इस कार्यक्रम के तहत जोड़ दिया गया है। राष्ट्रीय कार्यक्रमों के तहत आर.एन.टी.सी.पी., एंटी रेट्रोवाइरल मैडीसिन, एंटी लीशमानियासिस मैडीसिन, एंटी नेप्लास्टिक एंड इम्युनो सप्रेस द ड्रग्स व पैलिएटिव केयर जैसी दवाइयां मिलेंगी।

केंद्र ने दिए निजी क्लीनिकों पर नजर रखने के निर्देश
केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को निजी क्लीनिकों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सचिव प्रीति सूदन की तरफ से इस आशय संबंधी पत्र सभी मुख्य सचिवों को लिखे गए हैं। इस पत्र में हरियाणा के एक निजी संस्थान में 7 वर्षीय लड़की आद्या की डेंगू से मौत होने के बाद परिजनों को 18 लाख रुपए का बिल थमाए जाने का उल्लेख किया है। केंद्रीय सचिव का कहना है कि क्लीनिकल इस्टैब्लिशमैंट एक्ट, 2010 को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने निजी अस्पतालों और क्लीनिकों की तरफ से अधिक धन वसूलने पर कार्रवाई करने को कहा है। केंद्रीय सचिव का पत्र मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने सभी सी.एम.ओ. को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में इस एक्ट को लागू किया गया है और समय-समय पर निजी क्लीनिकों एवं अस्पतालों की जांच की जाती है। राज्य के किसी भी निजी अस्पताल में ज्यादा पैसे वसूलने का मामला सामने नहीं आया है। यदि इस तरह की कोई शिकायत आती है तो तुरंत नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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