देवनाटी में एक साथ झूमे 16 देवरथ, हजारों लोग बने गवाह

Edited By Punjab Kesari, Updated: 17 Feb, 2018 07:04 PM

16 devrath danced together in devnati thousand people becomes witnesses

अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के तीसरे दिन सर्व देवता कमेटी व शिवरात्रि मेला कमेटी द्वारा ऐतिहासिक पड्डल मेला मैदान में देवनाटी का आयोजन किया गया....

मंडी: अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के तीसरे दिन सर्व देवता कमेटी व शिवरात्रि मेला कमेटी द्वारा ऐतिहासिक पड्डल मेला मैदान में देवनाटी का आयोजन किया गया, जिसमें एक साथ 16 देवरथ अपने-अपने वाद्ययंत्रों के साथ झूमे। इस मौके के हजारों लोग गवाह बने। तीसरे दिन पड्डल में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना को दोपहर बाद जबरदस्त भीड़ उमड़ी। इस बीच दोपहर साढ़े 12 बजे कलाकेंद्र के पास देवनाटी का आयोजन किया गया, जिसमें शिवरात्रि के इतिहास में पहली बार देवताओं ने एक साथ नाटी डाली और देवलुओं के कंधों पर नाचते हुए देव मिलन किया।

देवरथों ने 1 घंटे तक किया पारंपरिक देवनृत्य
 इस अवसर पर शिवरात्रि मेला कमेटी के अध्यक्ष एवं डी.सी. मंडी ऋग्वेद ठाकुर स्वयं इस देवनाटी के गवाह बने और उन्होंने देवताओं के समक्ष हाजिरी भरी। इस दौरान अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी राजीव कुमार तथा देव समाज के अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे। इस मौके पर करीब 1 घंटे तक देवरथों ने पारंपरिक देवनृत्य किया और आपस में मिलन भी किया। इस देवनृत्य को देखने के लिए सैंकड़ों देवलु पहुंचे। सर्व देवता कमेटी के प्रधान शिवपाल शर्मा ने कहा कि अब 19 व 20 फरवरी को फिर से यहीं देवनाटी होगी, जिसमें अन्य घाटियों के देवता शिरकतकरेंगे।  

इन देवताओं ने किया नृत्य 
देवनाटी में शुकदेव ऋषि थट्टा, लक्ष्मीनारायण, चुंजवाला, छांजणू, छमाहूं बालीचौकी, तुंगासी जंजैहली, ढगांडू सनोर, शेषनाग टेपर, देवी मासड़ की बुढ़ी बुछारन, देवी कांढ़ी कढ़ासनी, मैहण माता बदार, सोना सिंघासन न्यूल बदार,धारा नागण,बीहण की घटासण, देवी निशु पराशरी, देवी बालू की जालपा व झाथी बीर रूंझ ने शिरकत की। 

देवलुओं ने देवता से मांगी माफी
इस दौरान जब डी.सी. देवताओं से मिलने मैदान में आए तो वह सराज घाटी के देवता छांजणू से नहीं मिल पाए। इस बीच जैसे ही नाटी समाप्त हुई तो देवता ने अपने गुर के माध्यम से पहले सभी को आशीर्वाद दिया लेकिन बाद में इस बात पर गिला जताया कि डी.सी. को सभी उपस्थित देवताओं के पास जाना चाहिए था। इसके बाद देवता ने अपने गुर के माध्यम से यह भी चेताया कि कोई अनहोनी होने वाली है लेकिन मैं अपने प्रभाव से इसे रोक दूंगा। मौके पर मौजूद देवलुओं ने देवता से माफी मांगी और भविष्य में इस बात का खास ख्याल रखने को कहा। बता दें कि गत वर्ष शिवरात्रि की अंतिम सांस्कृतिक के दिन मेला मैदान के साथ प्रवासियों की बस्ती जलकर राख हो गई थी। 

देवताओं ने पड्डल मेला मैदान में जमाया डेरा 
शिवरात्रि महोत्सव के तीसरे दिन जिला के 3 उपमंडलों से आए देवताओं ने दिनभर ऐतिहासिक पड्डल मेला मैदान में डेरा जमाया। इस दौरान विभिन्न स्थलों से आए देवी-देवताओं के देवलुओं ने अपने-अपने देवरथों के पास दिनभर देवलु नाटी डालकर महोत्सव की शोभा बढ़ाई। पड्डल स्थित कालेज कला मंच के समीप देवता एक कतार में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं वहीं देवी-देवताओं के आपसी मिलन के भी यहां हजारों लोग गवाह बन रहे हैं। जिला के 3 उपमंडलों से आए देवी-देवताओं ने वर्ष भर बाद एक दूसरे के गले मिलकर अपने दु:ख-दर्द सांझा किए।

देव मिलन से हर कोई रोमांचित
इस पावन अवसर को बाहरी पर्यटकों ने भी अपने कै मरों में कैद किया। दिनभर देव मिलन के बाद सराज घाटी के देवताओं के अस्थायी शिविरों में देवलुओं ने पहाड़ी नाटी डालकर खूब रंग जमाया। इस दौरान देवलु नाटी देखने के लिए भी जिलाभर से ग्रामीण महिलाएं भी पारंपरिक वेशभूषा में पहुंची। महिलाओं ने देवी-देवताओं के रथों के पास हाजिरी भरकर पूजा-अर्चना कर अपनी फरियादें उनके समक्ष रखीं। दिनभर देवताओं के दर्शनों को लोगों की भीड़ उमड़ी रही।

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