Edited By Updated: 27 Jul, 2016 08:30 PM
प्रदेश हाईकोर्ट ने आत्महत्या को उकसाने वाले शशि भूषण मनकोटिया को 3 साल की कैद और 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाते हुए.....
शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने आत्महत्या को उकसाने वाले शशि भूषण मनकोटिया को 3 साल की कैद और 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाते हुए सत्र न्यायाधीश कांगड़ा स्थित धर्मशाला द्वारा उसे बरी करने वाले फैसले को पलट दिया। न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने सरकार की अपील को मंजूर करते हुए यह सजा सुनाई।
मामले के अनुसार वर्ष 2003 में शशि भूषण की शादी रीमा से हुई थी। कुछ समय तक वे लहरा गांव में रहे, फिर नरवाणा में किराए के मकान में रहने लगे। शादी के करीब एक वर्ष बाद शशि भूषण ने रीमा को शराब पीकर तंग करना शुरू कर दिया। शराब पीकर वह उससे मारपीट भी करने लगा और उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त भी करने लगा। रोज-रोज के झगड़ों और मारपीट से तंग आकर रीमा ने 18 नवम्बर, 2008 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
रीमा के भाई संजय गुलेरिया ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई। मामले की छानबीन के पश्चात अभियोजन चलाया गया। सरकार ने दोष साबित करने के लिए सत्र न्यायाधीश कांगड़ा स्थित धर्मशाला के समक्ष 13 गवाह पेश किए परन्तु निचली अदालत ने 24 अप्रैल, 2010 को शशि भूषण को बरी कर दिया था। सरकार ने इस फैसले को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। कोर्ट ने दोषी की मांग पर उसे धर्मशाला की जिला जेल में सजा काटने की इजाजत भी दे दी।