हिल्स क्वीन को नहीं मिला विदेशी दौरों का लाभ

Edited By Updated: 03 May, 2016 10:12 AM

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हिमाचल प्रदेश में नगर निगम के महापौर संजय चौहान अपने कार्यकाल के 4 वर्षों में अब तक 6 बार विदेश की सैर कर चुके हैं जबकि डिप्टी मेयर...

शिमला: हिमाचल प्रदेश में नगर निगम के महापौर संजय चौहान अपने कार्यकाल के 4 वर्षों में अब तक 6 बार विदेश की सैर कर चुके हैं जबकि डिप्टी मेयर टिकेन्द्र पंवर 3 बार विदेश यात्रा पर जा चुके हैं। एक्सपोजर विजिट के नाम पर ये विदेशी दौरे होते आ रहे हैं लेकिन पहाड़ों की रानी शिमला को अब तक इन विदेशी दौरों का कोई लाभ नहीं मिल पाया है।

विदेशों में होने वाली कान्फ्रैंसों में बनने वाली विकास की रूपरेखा महज कागजों तक ही सीमित है, जमीनी स्तर पर किसी भी प्रौजेक्ट या योजना को अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है यानी मेयर व डिप्टी मेयर द्वारा 4 वर्ष में कुल 9 विदेशी दौरे अब तक किए गए हैं जिसका नतीजा शून्य है, ऐसे में लाखों रुपए इन विदेशी यात्राओं पर खर्च किए गए हैं जिसका शिमला के विकास में कोई योगदान नहीं है। 

मेयर व डिप्टी मेयर विदेशी तकनीकों के जरिए शिमला में विकास का सपना आम जनता को दिखाते आए हैं लेकिन हकीकत यह है कि नगर निगम प्रशासन शहर की आम जनता को नियमित रूप से पानी की आपूर्ति तक मुहैया नहीं करवा पाया है और शहर में जल संकट गहराया हुआ है। पानी की बूंद-बूंद को लेकर संघर्ष जारी है। शहर की जनता को न तो पीने को पानी मिल रहा है और न ही सीवरेज की उचित व्यवस्था है। शहर में पार्किंग की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है, ऐसे में मेयर व डिप्टी मेयर के विदेशी दौरों का शिमला के विकास में क्या योगदान है, यह एक बड़ा सवाल है।

मेयर व डिप्टी मेयर इन विदेशी दौरों से शिमला के लिए नई-नई योजनाएं लाने की बात करते हैं लेकिन पिछले सालों में किए गए दौरों से शिमला में क्या विकास हुआ है यह किसी से छुपा नहीं है। विदेशों में जाकर निगम के ये निर्वाचित प्रतिनिधि पानी, सीवरेज, कूड़ा-कचरा प्रबंधन व क्लाइमेट इत्यादि की स्टडी कर आए हैं लेकिन शिमला की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है।

पार्षद भी कर चुके हैं सैर-सपाटा
ऐसा नहीं है कि नगर निगम के मेयर व डिप्टी मेयर ही अब तक विदेशी टूअर पर गए हैं, निगम के पार्षद भी इनमें से कुछ विदेशी यात्राओं पर फॉरन जा चुके हैं जबकि भारत के विभिन्न हिस्सों में एक्सपोजर विजिट के नाम पर पार्षद भी खूब सैर-सपाटा कर चुके हैं। इसमें पार्षद गांधीनगर गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पुणे, अहमदाबाद व दिल्ली सहित कई जगहों की सैर कर चुके हैं।

टूअर पर आता है लाखों का खर्च
विदेशी टूअर पर लाखों रुपए का खर्च आता है। हालांकि नगर निगम प्रशासन का तर्क है कि जितने भी टूअर होते हैं वे सभी किसी न किसी संस्था द्वारा प्रायोजित होते हैं। इसमें एम.सी. का एक भी पैसा नहीं लगता है लेकिन सवाल यह है कि शिमला शहर को पिछले 4 साल में मेयर व डिप्टी मेयर द्वारा किए गए इन विदेशों दौरों से क्या लाभ मिला है और शिमला में कौन सी नई योजना को मूर्तरूप दिया गया है। शहर की स्थिति आज भी ज्यों की त्यों ही है।

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