कुल्लू दशहरे में इन 2 राजघरानों में हो सकता है टकराव, जानिए क्यों

Edited By Punjab Kesari, Updated: 06 Sep, 2017 01:28 AM

these two royal houses may collide in kullu dussehra  know why

अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के मौके पर कुल्लू और रामपुर के राजघरानों में टकराव की स्थिति रहने के आसार हैं।

कुल्लू: अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के मौके पर कुल्लू और रामपुर के राजघरानों में टकराव की स्थिति रहने के आसार हैं। इस कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हालांकि शुरू के 3 वर्षों तक कुल्लू के राज परिवार को प्रदेश की कांग्रेस सरकार से कोई खास परेशानी नहीं हुई। बीते वर्ष जैसे ही विधायक महेश्वर सिंह की धूम-धड़ाके के साथ भाजपा में वापसी हुई तो वह मुख्यमंत्री को खटकने लगे। उसके बाद से ही वह हर जनसभा में मुख्यमंत्री के निशाने पर रहे और कई सरकारी फरमानों के जरिए भी महेश्वर सिंह को घेरने के  प्रयास हुए। पिछली बार अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव शुरू होने से पहले ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दशहरा उत्सव में निकलने वाली जलेब की आड़ में महेश्वर सिंह पर निशाना साधा था। 

मुख्यमंत्री ने शिमला में दिया था यह बयान
मुख्यमंत्री ने पिछले साल उत्सव शुरू होने से पहले ही शिमला में कह दिया था कि दशहरा उत्सव में किसी भी व्यक्ति को पालकी में सवार होकर चलने नहीं दिया जाना चाहिए। इसे गलत बताते हुए उन्होंने कहा था कि किसी के कंधों पर पालकी में सवार होकर चलने की इस परंपरा को खत्म किया जाना चाहिए। दशहरा उत्सव में निकलने वाली जलेब में रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह पालकी में भगवान नृसिंह की कटार लेकर चलते हैं। कई देवी-देवताओं के रथ भी जलेब में शामिल रहते हैं। यह परंपरा दशहरा उत्सव में पिछले करीब 360 वर्षों से चली आ रही है और उससे पहले भी इसी तरह सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया जाता था। 

मुख्यमंत्री के सामने निकली थी जलेब
पालकी को लेकर दिए गए बयान के बाद पिछले वर्ष दशहरा उत्सव के समापन से एक दिन पूर्व मुख्यमंत्री भी कुल्लू पहुंचे और उस दिन भी उनके सामने जलेब निकली। मुख्यमंत्री का काफिला जब ढालपुर माल से गुजर रहा था तो वहीं से जलेब भी निकल रही थी। फर्क यह था कि इस जलेब में मुख्यमंत्री को जवाब देने के लिए अन्य दिनों के मुकाबले लोगों की भीड़ अधिक रही। भारी संख्या में देवलुओं और महेश्वर के समर्थकों ने उस जलेब में हिस्सा लिया था। हालांकि दशहरा उत्सव के  दौरान बतौर मुख्यातिथि पहुंचे मुख्यमंत्री ने पालकी को लेकर कोई बयान नहीं दिया था। अब ट्रस्ट के मसले पर मुख्यमंत्री और कांगे्रस के अन्य नेता व कार्यकर्ता महेश्वर सिंह को घेरने की तैयारी में हैं। इस बार ट्रस्ट के मसले पर दोनों राजघरानों में टकराव के आसार हैं।

पहले भी दोनों घरानों में रही है तनातनी  
अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव में दोनों घरानों में टकराव की स्थिति पहले भी रही। खासकर इन दोनों राजघरानों में उस समय ज्यादा तनातनी रही है जब विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव का दौर चला हो या चुनाव होने वाले हों। कुछ वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को लेकर चर्चा यह भी रही कि उन्होंने रघुनाथ जी का रथ रोका। यह भी शोर मचा था कि मुख्यमंत्री ने रथ पर सवार होने का प्रयास किया। इस पूरे प्रकरण को कांग्रेस ने यह कहकर शांत करवाया था कि मुख्यमंत्री रघुनाथ जी का आशीर्वाद लेने आए थे। रघुनाथ जी के रथ की डोर को पकड़कर रघुनाथ जी के रथ को भी मुख्यमंत्री ने खींचा। मुख्यमंत्री को देवलू बताते हुए कांग्रेस ने मामले को शांत करवाया था।

सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ी हुई है जलेब  
जानकार बताते हैं कि दशहरा उत्सव जब से शुरू हुआ है जलेब तब से लेकर चली आ रही है। जानकार चुनी लाल आचार्य, दयानंद सारस्वत व डा. रमेश ठाकुर बताते हैं कि इस जलेब को निकालने का उद्देश्य सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। करीब 360 वर्ष पहले भी दशहरा उत्सव में देवी-देवता आते थे। आज की भांति उस दौर में भी सभी देवता ढालपुर मैदान में अस्थायी शिविरों में बैठते थे। देवरथों में सोने-चांदी के आभूषण व मोहरे होते हैं। कोई चोर-डकैत सोने-चांदी पर बुरी नजर गड़ाए हुए हो तो ऐसे असामाजिक तत्वों को डराने, उन्हें पहचानने व देवलुओं को सुरक्षा प्रदान करने के मकसद से जलेब निकलती थी। उस दौर में भी राजा भगवान नृसिंह की कटार लेकर जलेब में चलते थे और साथ में देवी-देवता भी जलेब में शामिल रहते थे। आज भी इस परंपरा को अनवरत निभाया जा रहा है।

तो अब भी आ सकते हैं मुख्यमंत्री
अबकी बार यदि दशहरा उत्सव शुरू होने से पहले चुनाव आचार संहिता लग गई तो इन दोनों राजघरानों की आपसी तनातनी कुछ कम हो सकती है। अक्सर देखा गया है कि पूर्व में चुनाव आचार संहिता लगने के बाद मुख्यमंत्री ने दशहरा उत्सव का रुख नहीं किया। देवी-देवताओं से आशीर्वाद लेने के बहाने या अन्य कोई निजी कार्यक्रम बनाकर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह दशहरा उत्सव में आ भी सकते हैं। हालांकि कांग्रेस कार्यकर्ता बताते हैं कि चुनाव आचार संहिता भी लगे तो मुख्यमंत्री देवी-देवताओं से आशीर्वाद लेने तो जरूर आएंगे। 

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