Watch Pics: देवभूमि के पहाड़ों पर बसे ऐतिहासिक जाखू मंदिर का जानिए खास रहस्य

Edited By Punjab Kesari, Updated: 08 Dec, 2017 11:16 AM

know the secret of the historic jakhoo temple on the mountain of the devbhomi

देवभूमि हिमाचल की राजधानी का ऐतिहासिक जाखू मंदिर शिमला की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। मंदिर में देश-विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं। यह मूर्ति मीलों दूर से भी भक्तों को दर्शन देती है। इस प्रतिमा को विश्व की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित सबसे बड़ी मूर्ति...

शिमला (राजीव): देवभूमि हिमाचल की राजधानी का ऐतिहासिक जाखू मंदिर शिमला की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। मंदिर में देश-विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं। यह मूर्ति मीलों दूर से भी भक्तों को दर्शन देती है। इस प्रतिमा को विश्व की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित सबसे बड़ी मूर्ति होने का गौरव मिला है। मूर्ति की ऊंचाई 108 फुट है। मूर्ति निर्माताओं का दावा है कि विश्व में इससे बड़ी हनुमान की मूर्ति अभी तक नहीं बनी है। मूर्ति पर केसरिया चोला चढ़ाया गया है। जाखू पहाड़ी पर स्थित होने के कारण यह प्रतिमा दूर से भी दिखाई देती है। माल रोड और रिज मैदान पर घूमने वाले सैलानी भी इस मूर्ति का दर्शन कर सकते हैं।
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'ऋषि याकू' के नाम पर पड़ा जाखू नाम
मान्यता है कि राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी के मूर्छित हो जाने पर संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय की ओर आकाश मार्ग से जाते हुए हनुमान जी की नजर तपस्यारत यक्ष ऋषि पर पड़ी। तो वे नीचे पहाड़ी पर उतरे। जिस समय हनुमान जी पहाड़ी पर उतरे उस समय पहाड़ी उनका भार सहन न कर सकी। परिणामस्वरूप पहाड़ी जमीन में धंस गई। मूल पहाड़ी आधी से ज्यादा धरती में समा गई, इस पहाड़ी का नाम जाखू है। यह जाखू नाम 'ऋषि याकू' के नाम पर पड़ा। श्री हनुमानजी ने ऋषि को नमन कर संजीवनी बूटी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की तथा ऋषि से वायदा किया कि संजीवनी लेकर आते समय ऋषि आश्रम पर जरूर आएंगे। 
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पेड़ों के बीच बना है ऐतिहासिक जाखू मंदिर 
हनुमान जी ने रास्ते में कालनेमी नामक राक्षस द्वारा रास्ता रोकने पर युद्ध करके उसे परास्त किया। इस भागमभाग तथा समयाभाव के कारण हनुमान जी ऋषि के आश्रम नहीं जा सके। श्रीहनुमानजी याकू ऋषि को नाराज नहीं करना चाहते थे, इस कारण अचानक प्रकट होकर और अपना विग्रह बनाकर अलोप हो गए। ऋषि याकू ने हनुमानजी की स्मृति में मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर में जहां हनुमानजी ने अपने चरण रखे थे, उन चरणों को संगमरमर पत्थर से बनवाकर रखा गया है। ऋषि ने वरदान दिया कि बंदरों के देवता हनुमान जब तक यह पहाड़ी है लोगों द्वारा पूजे जाएंगे। शिमला के सबसे लोकप्रिय स्पॉट मॉल रोड से जाखू मंदिर के लिए रास्ता बना है। घने देवदार के पेड़ों के बीच जाखू हनुमान जी का ऐतिहासिक मंदिर है। 
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यहां लोगों की मुरादें होती है पूरी 
बताया जाता है कि जाखू मंदिर परिसर में सदियों से बंदरों की टोलियां रहती हैं। ये श्रद्धालुओं का कुछ बुरा नहीं करते लेकिन उनकी अपेक्षा रहती है कि आप उनके लिए कुछ दाना पानी जरूर लेकर आएं। इस मंदिर में वैसे तो हर रोज आरती होती है लेकिन शनिवार और मंगलवार में खास आरती होती है, जिसमें काफी श्रद्धालु शामिल होते हैं। आरती सुबह 4 बजे और सुबह 7 बजे होती है जबकि शाम को 7 बजे आरती की जाती है। आरती आधे घंटे तक होती है। इस दौरान केवल घंटिया और नगाड़े बजाए जाते हैं। रविवार को भक्तों द्वारा भंडारा लगा दिया जाता है। यहां लोगों की मुरादें भी पूरी होती है।  
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27 साल से बर्फ-बारिश में भी यह शख्स आ रहा मंदिर 
पिछले 27 साल से हर रोज मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने आने वाले दीपक सूद का कहना है कि वह यहा हर रोज सुबह आते हैं। उनका कहना है कि यहां आकर कुछ मांगने की जरूरत नहीं होती बल्कि भगवान् खुद मुरादें पूरी करते हैं। दीपक साल भर मंदिर आते हैं चाहे बर्फ हो या बारिश।
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कोई दिन ऐसा नहीं होता, जब वह मंदिर न आए। मंदिर में एचसी नंदा ट्रस्ट दिल्ली की ओर से हनुमान जी की 108 फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया गया है। ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी निखिल नंदा है। मूर्ति का निर्माण मातु राम आर्ट सेंटर गुड़गांव के मुख्य मूर्तिकार नरेश कुमार और सह कलाकार शंकर ने किया है। प्रतिमा निर्माण में करीब 2 करोड़ रुपए की लागत आई और 40 मजदूरों की अथक मेहनत से इसे तैयार किया गया है। 
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