आस्था या अंधविश्वास, जानिए इस ऐतिहासिक कुंए के चमत्कारी जल का रहस्य (Watch Pics)

Edited By Punjab Kesari, Updated: 22 Mar, 2018 12:16 PM

faith or superstition

ऊना जिला के गांव कुठेड़ा खैरला में बने एक कुंए में पानी को चमत्कारी मानते हुए रोजाना सैंकड़ों लोग इस जल को बोतलों में भर-भर कर अपने घरों को ले जा रहे हैं। यह कुंआ बनावट के हिसाब से काफी प्राचीन प्रतीत होता है। सड़क से इस कुंए तक पहुंचने के लिए 84...

ऊना (अमित): ऊना जिला के गांव कुठेड़ा खैरला में बने एक कुंए में पानी को चमत्कारी मानते हुए रोजाना सैंकड़ों लोग इस जल को बोतलों में भर-भर कर अपने घरों को ले जा रहे हैं। यह कुंआ बनावट के हिसाब से काफी प्राचीन प्रतीत होता है। सड़क से इस कुंए तक पहुंचने के लिए 84 सीढ़िया बनी है। सीढ़ियों के ऊपर बनी छत की बनावट प्राचीन महलों की छतों की तरह है। 84 सीढ़िया उतरने के बाद दो छोटी तथा एक बड़ी बाबड़ी है। बड़ी बाबड़ी के बिल्कुल पीछे बड़ा कुंआ है जो कि पूरी तरह से बंद किया गया है। बाबड़ी के साथ लगती दीवारों में से भी लगातार जल निकलता है। लोग इन्हीं दो छोटी बाबड़ियों और बड़ी बाबड़ी के साथ-साथ दीवारों से रिसने वाले जल को बोतलों में भरकर अपने घरों को ले जा रहे हैं।
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कुठेड़ा खैरला के कुंए के बाहर सैकड़ों लोग लाइन में किसी मंदिर में माथा टेकने के लिए इंतजार नहीं कर रहे। बल्कि हाथों में बोतल व कैन लेकर बावड़ी जल लेने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। ऐतिहासिक बावड़ी के जल को चमत्कारी जल के रूप में अचानक प्रसिद्धि मिल गई है। लोग इस जल से कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलने का दावा कर रहे हैं। लोगों की माने तो इस जल को रोजाना पीने से शुगर, BP, टायफाइड, शरीर की दर्दें और आंखों की बीमारियां ठीक होती है। जब कटोहड़ खुर्द पंचायत के उपप्रधान से बात कि गई तो उन्होंने बताया कि उनके गांव का एक परिवार कई वर्ष पहले पंजाब में जाकर बस गया था। उस व्यक्ति को शुगर की बीमारी थी जिसका कई जगह उपचार करवाने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ।
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करीब दो महीने पहले उस व्यक्ति की पत्नी को स्वप्न आया कि आपके पैतृक गांव में एक कुंआ है, उसकी बाबड़ी का पानी पीने से बीमारियां दूर होती है। उसके बाद उस परिवार ने गांव में आकर बाबड़ी से जल लेकर लौट गए उसके बाद उस व्यक्ति की शुगर की बीमारी ठीक हो गई। जिसके बाद इस जल की मान्यता दिन प्रति दिन बढ़ती गई। वहीं ग्राम पंचाचत कुठेड़ा खैरला के प्रधान सुभाष कुमार का मानना है कि यह कुंआ 18वीं सदी का हैं। उन्होंने बताया कि काफी समय पहले तक लोग इसी कुंए का जल पीते थे और उन्हें कभी कोई बीमारी नहीं हुई लेकिन गांव में घर-घर नल लग जाने के बाद लोगों ने इस कुंए पर आना बंद कर दिया था। अब कई लोग इस जल को चमत्कारी मानकर घरों को ले जा रहे है, लेकिन IPH विभाग की रिपोर्ट में यह जल पीने लायक नहीं है जिसके चलते पंचायत ने कुंए के बाहर चेतावनी सूचना लगा दी है। 
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IPH विभाग पानी का सैंपल लिया गया था, जिसमें कैमिकल टैस्ट तो नॉर्मल है, लेकिन वैक्टीरियल लॉजिकल के कोलीफार्म टैस्ट में वैल्यू 5 आई है। विभाग के अधीक्षण अभियंता कि माने तो वैक्टीरिया दो तरह के होते है गुड और बैड इस पानी में किस तरह के वैक्टीरिया है इसे जांचने के लिए विभाग द्वारा जल्द ही आधुनिक टेस्ट करवाया जाएगा। पानी के चमत्कारी होने के सवाल पर अधीक्षण अभियंता ने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टि से जल में चमत्कार नहीं हो सकता लेकिन लोगों की आस्था इससे जुडी हो सकती है। 
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अब इसे आस्था कहें या चमत्कार का प्रभाव। पेयजल की रिपोर्ट जो आईपीएच विभाग द्वारा ली गई है, उसमें इस पीने के लिए उचित नहीं माना गया है। ऐसी सूचना पंचायत द्वारा भी कागज पर लिखकर लगा दी गई है। लेकिन दूर दराज से आ रहे लोग इस सूचना को नजरअंदाज कर विश्वास रखते हुए जल को भरकर ले जा रहे हैं। कारण यह भी है कि जो जल व्यक्ति यहां से लेकर जा रहा है वह इसका प्रचार आगे से आगे कर रहे हैं। जिसके चलते आस्था आगे से आगे इस प्रकार कड़ी के रुप में जोड़ रही है कि लोगों में विभाग की रिपोर्ट और पंचायत की चेतावनी मायने नहीं रख रही।
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