KCCB अध्यक्ष के कार्यकाल में हुआ बड़ा गोलमाल, पढ़ें खबर

Edited By Punjab Kesari, Updated: 05 Jan, 2018 10:43 PM

big breakup happened during the tenure of the kccb director

कांगड़ा सैंट्रल को-आप्रेटिव बैंक में साढ़े 3 साल में बैंक अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान 2 महंगी गाडिय़ां बदली गईं जोकि सवालों के घेरे में हैं।

पालमपुर: कांगड़ा सैंट्रल को-आप्रेटिव बैंक में साढ़े 3 साल में बैंक अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान 2 महंगी गाडिय़ां बदली गईं जोकि सवालों के घेरे में हैं। वर्ष 2013 में खरीदी हुंडई इलानडरा गाड़ी की कीमत लगभग 15.56 लाख है और जो दूसरी टोयटा की गाड़ी ली गई है उसकी कीमत लगभग 29 लाख है। बैंक में ऐसे ही कई मामले हैं जो आए दिन चर्चा का विषय बनते हैं। हैरानी की बात है कि एक ओर प्रदेश में महंगी गाड़ी लेने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी पड़ती है तो वहीं दूसरी ओर बैंक प्रबंधन में किसी की मंजूरी न लेते हुए साढ़े 3 साल में लोगों के पैसे पर मौज उड़ाई गई। 

प्रबंध निदेशक ने मामले से झाड़ा पल्ला
गौर करने वाली बात यह है कि इस विषय पर जहां अध्यक्ष प्रबंध निदेशक पर महंगी गाड़ी लेने का ठीकरा फोड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर प्रबंध निदेशक इस विषय से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। बैंक के संयुक्त रजिस्ट्रार सुरेश रांगड़ा कहते हैं कि किसी भी नई गाड़ी की खरीददारी के लिए उनसे अनुमति लेना जरूरी है लेकिन यहां पर कोई भी अनुमति किसी भी गाड़ी की बैंक प्रबंधन द्वारा नहीं ली गई है। वहीं के.सी.सी. बैंक धर्मशाला के प्रबंध निदेशक पी.सी. अकेला का कहना है कि मेरे समय में कोई गाड़ी नहीं ली गई है, मैं जो भी आपको बता सकता हूं, रिकॉर्ड के अनुसार ही बता सकता हूं क्योंकि मैं मई में आया हूं। उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड में बोर्ड ऑफ  डायरैक्टर द्वारा गाड़ी लेने के लिए अपनी सहमति दी गई थी। जहां तक ऊपर से अनुमति लेने की बात है, हमें आर.बी.आई. की गाइडलाइन माननी पड़ती है।

एन.पी.ए. 10 प्रतिशत से ऊपर होने पर नहीं होती नया कार्य करने की अनुमति
जानकारी के अनुसार जब भी बैंक का एन.पी.ए. (नॉन परफॉर्मेंस एसेट) 10 प्रतिशत से ऊपर हो जाता है तो किसी भी तरह का कोई भी नया कार्य करने की अनुमति आर.बी.आई. की गाइडलाइन के अंतर्गत नहीं होती है, यहां तक की कोई नई शाखा व नया ए.टी.एम. तक भी बैंक नहीं खोल सकता है लेकिन इन सभी कानूनों को धत्ता बताते हुए बैंक द्वारा फिजूलखर्ची पर काम किया गया। मौजूदा समय में बैंक का एन.पी.ए. 16 प्रतिशत पहुंच चुका है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि किसी भी नई खरीददारी के लिए रजिस्ट्रार को भी अवगत करवाना पड़ता है लेकिन बैंक प्रबंधन ने उस विषय को भी नजरअंदाज कर दिया तथा अपनी मनमर्जी से गाडिय़ां लेकर मौज-मस्ती करते रहे।

बैंक प्रबंधन को अनुमति की आवश्कता नहीं होती : सिपहिया
कांगड़ा को-आप्रेटिव बैंक धर्मशाला के अध्यक्ष जगदीश सिपहिया ने कहा कि बैंक प्रबंधन को गाड़ी लेने के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन प्रबंध निदेशक द्वारा महंगी गाड़ी खरीदी गई, वह गलत बात है। उसमें अध्यक्ष की कोई भी ज्यादा भूमिका नहीं होती है। जहां तक एन.पी.ए. बढऩे की बात है, नए प्रबंध निदेशक द्वारा नए-नए कानून लागू किए जा रहे हैं तथा लोगों को लोन नहीं दिए जा रहे हैं जिस कारण एन.पी.ए. बढ़ रहा है अगर लोगों को लोन नहीं देंगे तो एन.पी.ए. बढ़ेगा, इसके लिए बैंक प्रबंधन दोषी है।

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