मंडी में NHAI का कारनामा,11 हिस्सेदारों का मुआवजा सिर्फ एक व्यक्ति को अवार्ड किया

Edited By Punjab Kesari, Updated: 25 Nov, 2017 10:35 AM

11 shareholders compensation only to one person

मंडी में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की अंधेरगर्दी देखने ....

मंडी (नीरज): मंडी में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की अंधेरगर्दी देखने को मिल रही है। यहां 11 हिस्सेदारों वाली जमीन का मुआवजा सिर्फ एक व्यक्ति को अवार्ड करने का काम किया जा रहा है। बाकी हिस्सेदारों ने दो महीने पहले इसकी शिकायत सौंप दी है लेकिन कार्रवाही के नाम पर सिर्फ इनके कार्यालयों के चक्कर ही कटवाए जा रहे हैं। कीरतपुर से मनाली तक बन रहे फोरलेन के निर्माण में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया कई बार सवालों के कठघरे में खड़ा हो चुका है। अब एक बार फिर से एनएचएआई की अंधेरगर्दी देखने को मिल रही है। मामला मंडी जिला के नगवाईं मुहाल का है। इस मुहाल में खसरा नंबर 215 के 11 हिस्सेदार हैं। इन हिस्सेदारों में पृथी सिंह, इंद्र सिंह, कुर्म सिंह, गीता, गंगा देवी, यदु राम, खुबू, सुनील, धर्मेंद्र, पूर्ण चंद और योगराज का नाम शामिल है। कागजों में इस जमीन पर योगराज का कब्जा दर्शाया गया है जबकि मालिक सभी हैं।
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एनएचएआई ने मिलीभगत करके यह सारा प्रपंच रचा 
इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा फोरलेन निर्माण में अधिग्रहित किया जाना है। एनएचएआई ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को कुछ इस तरह से पूरा किया कि जिसके पास कब्जा है उसे ही मालिक बताकर 1 करोड़ 18 लाख का सारा मुआवजा अवार्ड कर दिया। इससे पहले की यह राशि लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांस्फर होती उससे पहले ही इस बात का पता बाकी हिस्सेदारों को लग गया। हिस्सेदारों ने आशंका जताते हुए आरोप लगाया है कि एनएचएआई ने मिलीभगत करके यह सारा प्रपंच रचा है और व्यक्ति विशेष को इसका मालिक बनाकर मुआवजा देने का षडयंत्र रचा गया है।
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हर बार नई तारीख देकर कार्रवाई के नाम पर बुलाया जा रहा
मुआवजा दिए जाने की सूचना मिलने के बाद हिस्सेदारों ने भू-अर्जन अधिकारी पंडोह के कार्यालय में धावा बोल दिया और पूरे मामले की जांच पड़ताल की मांग उठाई। अगस्त महीने में लिखित तौर पर पहली शिकायत सौंपी गई और अक्तूबर महीने में दूसरी बार शिकायत की गई। शिकायतकर्ता हिस्सेदारों का कहना है कि उन्हें हर बार नई तारीख देकर कार्रवाई के नाम पर बुलाया जा रहा है लेकिन कार्रवाई कोई नहीं हो रही है। इनका कहना है कि नियम के तहत जो इनका मुआवजा बनता है वह उन्हें दिया जाए। वहीं हमने इस बारे में हिस्सेदार योगराज से भी अपना पक्ष रखने को कहा लेकिन उन्होंने खुद को मालिक बताते हुए कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इसके बाद भू-अर्जन अधिकारी पंडोह रामेश्वर शर्मा से भी इस मामले को लेकर कैमरे पर प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उन्होंने भी कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार दिया गया। लेकिन उन्होंने बताया कि उनके पास शिकायत आई है और उसपर कार्रवाही की जा रही है।
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