यहां पुजारियों ने आग के शोलों पर चलकर दी अग्नि परीक्षा (Watch Pics)

Edited By Updated: 08 Sep, 2016 02:56 PM

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क्या आप अपनी भक्ति को सिद्ध करने के लिए दहकते अंगारों पर चलने की हिम्मत जुटा सकते हैं। शायद आप सोच...

मंडी : क्या आप अपनी भक्ति को सिद्ध करने के लिए दहकते अंगारों पर चलने की हिम्मत जुटा सकते हैं। शायद आप सोच रहे होंगे कि कलियुग में भला कौन ऐसा भक्त होगा जो दहकते अंगारों पर चलकर अपनी भक्ति को सिद्ध करेगा।

दरअसल 21वीं सदी का दौर जारी है। लेकिन आज भी सनातन संस्कृति में पुरातन धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने की प्रक्रिया जारी है। आप चाहे एंड्रायड फोन पर फेसबुक और व्हाट्सएप चलाना शुरू कर चुके हैं। लेकिन शहरी क्षेत्रों में आज भी लोग अपनी भक्ति को सिद्ध करने के लिए दहकते अंगारों पर चलने से गुरेज नहीं करते।

बात मंडी शहर की हो रही है। मंडी शहर के स्कूल बाजार स्थित मां चामुंडा देवी के मंदिर में हर वर्ष जाग (जागरण) का आयोजन किया जाता है। बता दें कि इन दिनों भादो का महीना चला हुआ है और इस महीने को पहाड़ी भाषा में काला महीना भी कहा जाता है। मान्यता होती है कि इस महीने देव शक्तियों का कम और दैत्य शक्तियों का अधिक प्रभाव रहता है। इसी महीने मंडी जिला के सैंकड़ों मंदिरों में वार्षिक जागों का आयोजन किया जाता है।

लेकिन स्कूल बाजार स्थित मां चामुंडा देवी के मंदिर की जाग कुछ हटकर होती है। इस मंदिर में रात 12 बजे आग जलाई जाती है और देवी देवताओं के रथ उस आग के इर्द गिर्ध लाए जाते हैं। इसके साथ ही देवी देवाताओं के पुजारी भी यहां पर आकर अग्नि परीक्षा देना शुरू कर देते हैं। माता के पुजारी आग की परवाह किए बिना कई बार इसे नंगे पांव आर पार करते हैं। पुजारियों का मानना है कि ऐसा करके वह देवी देवताओं के प्रति अपनी निष्ठा का परिचय देते हैं और इससे उनका बाल भी बांका नहीं होता।

हालांकि अग्नि परीक्षा देने वाले पुजारियों ने देव अनुमति न मिलने का हवाला देते हुए कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया लेकिन मंदिर के साथ वर्षों से जुड़े एक सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य तिलक राज इस आयोजन की पूरी जानकारी दी। तिलक राज बताते हैं कि उन्होंने कभी भी इस जाग में किसी भी पुजारी का बाल तक बांका होता नहीं देखा। यहां तक कि कई बार पुजारी अग्नि में गिर भी गए लेकिन उन्हें इसका कोई नुकसान नहीं हुआ।

चलिए अब आपको मंडी जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर सेहली गांव लेकर चलते हैं। इस गांव के माता बग्लामुखी मंदिर में भी हर वर्ष जाग का आयोजन होता है। लेकिन यहां पर कोई भी आग पर नहीं नाचता बल्कि यहां पर देवी देवताओं और डायनियों के बीच होने वाले युद्ध की जानकारी देकर भविष्यवाणी की जाती है।

मंदिर के पुजारी अमरजीत शर्मा पेशे से स्वास्थ्य विभाग में लैब टैक्निशियन हैं। इनका दावा है कि इनमें देवी की शक्ति प्रवेश करती है जिसके बाद इनके माध्यम से देवी देवताओं और डायनियों के बीच हुए सात युद्धों की जानकारी दी जाती है। 

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