...तो बसों के पहिए जाम करेंगे निगम कर्मी (Watch Video)

Edited By Updated: 24 May, 2016 04:13 PM

हिमाचल पथ परिवहन कर्मियों ने मांगें न मानने की सूरत में निगम बसों के पहिए जाम करने की चेतावनी दी है। सोमवार को एच.आर.टी.सी. वर्कशॉप धर्मशाला में...

धर्मशाला: हिमाचल पथ परिवहन कर्मियों ने मांगें न मानने की सूरत में निगम बसों के पहिए जाम करने की चेतावनी दी है। सोमवार को एच.आर.टी.सी. वर्कशॉप धर्मशाला में हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के बैनर तले निगम कर्मियों ने गेट मीटिंग कर 26 मई को शिमला में प्रदेश स्तरीय धरने की रूपरेखा तैयार की।

इस दौरान प्रदेश सरकार, परिवहन मंत्री व निगम प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की गई। गेट मीटिंग को परिवहन मजदूर संघ के प्रदेशाध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर और निगम ड्राइवर यूनियन के प्रांत प्रधान सत्या प्रकाश ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पिछले माह 22 तारीख को परिवहन यूनियन ने निगम प्रबंधन के समक्ष अपनी 8 विभिन्न मांगों को उठाया लेकिन निगम प्रबंधन ने यूनियन की मांगों को मानने से साफ इंकार कर दिया। इसके विरोध में अब परिवहन कर्मी लामबंद हो गए हैं। यूनियन का कहना है कि निगम ने कर्मियों के जी.पी.एफ. की 150 करोड़ रुपए की राशि को खर्च कर दिया है।

परिवहन मजदूर संघ के प्रदेशाध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर ने कहा कि मंत्रियों और विधायकों ने अपने-अपने वेतन तो बढ़ा लिए लेकिन निगम कर्मियों को किसी तरह के वित्तीय लाभ नहीं दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब निगम कर्मी अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि एच.आर.टी.सी. की हालत नाजुक बनी हुई है, पीसमील और कंडक्टर्स की भर्ती न करके कौशल विकास भत्ते के नाम पर काम चलाने की कोशिश की जा रही है। निगम कर्मियों के 150 करोड़ रुपए का जी.पी.एफ. भी खर्च किया जा चुका है। इस अवसर पर रजिंद्र ठाकुर, सुल्तान पुरी, रणजीत सिंह, कर्म चंद, रमेश, अरुण कुमार, पुरुषोत्तम चंद, रजनीश शर्मा, पवन कुमार व दिनेश सहित समस्त कार्यशाला चालक-परिचालक उपस्थित रहे।

ये हैं मांगें
हिमाचल पथ परिवहन कर्मियों की मांगों में परिवहन निगम को रोडवेज बनाना, निगम कर्मचारियों के वेतन, पैंशन व अन्य वित्तीय लाभ व निगम में सभी श्रेणियों की भर्ती सरकार द्वारा घोषित अनुबंध नीति के तहत करना व सभी रिक्त पदों को भरना, सभी कार्यशालाओं का आधुनिकीकरण, कार्यशाला कर्मचारियों व अन्य श्रेणियों के लंबित आर.एंड पी. रूल को संशोधित करना, निगम प्रबंधन द्वारा जी.पी.एफ. ट्रस्ट से खर्च किए गए 150 करोड़ रुपए को तुरंत जमा करवाना, निगम के सभी छोटे-बड़े वाहनों का बीमा करवाना, अवैध बस संचालन पर रोक व निगम की सम्पत्तियों से अवैध कब्जे हटाना आदि मुख्य मांगें शामिल हैं।

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