Edited By Vijay, Updated: 25 Nov, 2018 04:47 PM
हिमाचल सरकार कर्मचारियों की हितैषी होने का दावा तो जरूर करती है लेकिन इन दावों की पोल चम्बा जिला के डल्हौजी में खुल जाती है। डल्हौजी एस.डी.एम. कार्यालय में चपरासी के पद पर तैनात नारायण दास ने अपनी जिंदगी के बेहतरीन 16 साल सरकार की जी हजूरी में बिता...
चम्बा (मोहम्मद आशिक): हिमाचल सरकार कर्मचारियों की हितैषी होने का दावा तो जरूर करती है लेकिन इन दावों की पोल चम्बा जिला के डल्हौजी में खुल जाती है। डल्हौजी एस.डी.एम. कार्यालय में चपरासी के पद पर तैनात नारायण दास ने अपनी जिंदगी के बेहतरीन 16 साल सरकार की जी हजूरी में बिता दिए और उन्हें लगा कि आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों वह रैगुलर हो जाएंगे लेकिन आजतक ऐसा नहीं हो पाया। उक्त चौकीदार ने रैगुलर होने के लिए कई चक्कर इधर से उधर लगाए लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा। फिर थक-हार कर ट्रिब्यूनल कोर्ट शिमला में केस दायर कर दिया लेकिन 3 बार जीतने के बाद भी उक्त कर्मचारी को रैगुलर नहीं किया जा रहा है। ट्रिब्यूनल की बैंच ने भी आदेश जारी कर दिए हैं लेकिन इन आदेशों को भी सरकार के ब्यूरोके्रट्स नहीं मान रहे। जब उनसे इस बारे में पूछा जाता है तो वे कोर्ट का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लेते है।
4 महीनों से नहीं भरी बच्चों की फीस
उक्त चौकीदार ने अपने हक की लड़ाई लड़ते हुए अपनी पत्नी के गहने तक बेच दिए लेकिन 6000 रुपए मासिक वेतन लेने वाले व्यक्ति की बात कोई सुनने को तैयार नहीं है। नारायण दास पिछले 4 महीनों से बच्चों की फीस तक नहीं दे पाया है तथा अब वह अपनी पुश्तैनी जमीन बेचने जा रहा है क्योंकि उसके पास और कोई चारा नहीं बचा है। न तो सरकार और न ही प्रशासन ट्रिब्यूनल के आदेश को मान रहे हैं, जिसका खमियाजा एक कर्मचारी को भुगतना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं नारायण दास
नारायण दास का कहना है कि वह पिछले 16 साल से सेवाएं दे रहे हैं और अभी तक उन्हें रैगुलर नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले 8 साल फिर 3 साल का कार्यकाल रखा था, उसके बाबजूद भी उन्हें रैगुलर नहीं किया गया है। ब्यूरोक्रेट्स आदेश को नहीं मान रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि जल्द उन्हें न्याय दिलवाया जाए।
क्या कहती हैं नारायण दास की पत्नी
वहीं दूसरी और नारायण दास की पत्नी का कहना है कि हमें बहुत परेशानी हो रही है। हम सरकार से मांग करते हैं कि मेरे पति को रैगुलर किया जाए। उन्होंने कहा कि हमारे परिवार की स्थिति अच्छी नहीं है तथा हम बच्चों की फीस 4 महीने से नहीं दे पाए हैं।
क्या कहते हैं एस.डी.एम. डल्हौजी
उधर, डल्हौजी के एस.डी.एम. डा. मुरारी लाल का कहना है कि मामला कोर्ट में इसमें कुछ कहना गलत होगा।