ऊना का युसूफ बना किसानों के लिए मिसाल, घर की दीवार और छत पर उगाई सब्जियां

Edited By kirti, Updated: 22 Feb, 2020 02:02 PM

una yusuf became an example for farmers

मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है। यह पंक्तियां ऊना जिला के गांव नंगल सलांगडी के किसान युसूफ खान पर एकदम फिट बैठती है। हिमाचल प्रदेश के सबसे गर्म जिला ऊना में मशरूम की सफल खेती कर...

ऊना(अमित): मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है। यह पंक्तियां ऊना जिला के गांव नंगल सलांगडी के किसान युसूफ खान पर एकदम फिट बैठती है। हिमाचल प्रदेश के सबसे गर्म जिला ऊना में मशरूम की सफल खेती कर सुर्खियां में रहने वाले युसूफ ने। जिसने अपने घर की दीवार और छत पर हाइड्रोपोनिक विधि का प्रयोग कर सब्जी उगाकर सभी को हैरत में डाल दिया है। युसूफ इसी विधि से पॉलीहाउस में बेमौसमी सब्जियां भी उगा रहे हैं। जो काफी हद तक कामयाब हो रहा है और पौधे फल भी दे रहे है।
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युसूफ द्वारा हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से अभी तक खीरा, चैरी टमाटर, टमाटर, लैट्यूस, स्ट्राबैरी, धनिया, पालक को लगाया है। दरअसल कई लोग ताजी सब्जियां खाने के शौकीन होते है लेकिन खेती के लिए भूमि न होने के चलते वो ताजी सब्जियों की इच्छा पूरी नहीं कर पाते थे। लेकिन हाइड्रोपोनोक तकनीक से आप मिट्टी के बिना केवल पानी में ही सब्जियों का उत्पादन कर सकते है और इसके लिए आप अपनी घर की दीवारों या छतों पर सब्जियों का उत्पादन कर ताज़ी सब्जियों का आनंद ले सकते है। युसूफ खान की माने तो जिन लोगों के पास किचन गार्डनिंग या सब्जियों के उत्पादन के लिए भूमि नहीं है हाइड्रोपोनिक तकनीक उनके लिए बहुत बढ़िया है। युसूफ की माने तो हाइड्रोपोनिक विधि के द्वारा पौधो को बढ़ने में मदद करने वाले सभी जरूरी तत्वों को पानी में न्यूट्रिएंट मिलाकर पूरा किया जाता है।
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इनकी इस विधि से अब शहरों में रहने वाले लोग भी अपनी छतों पर खीरा व अन्य सब्जियां लगा सकते हैं और स्वयं हरी व ताजी सब्जियां खा सकते हैं। हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम में प्रयोग होने वाले पानी में सभी जरूरी पोषकतत्व मिलाएं गए हैं, जो कि रूट्स के माध्यम से पौधे को मिलते रहेंगे। सिस्टम में एक विशेष तरीके से पौधे को हवा भी दी जाती है। इस विधि से सब्जियों की खेती करने से किसानों को इसकी खुदाई-रोपाई करने से भी निजात मिलेगी। वहीं उनके परिश्रम व समय भी बचत होगी और जमीन से आने वाली बीमारियों में भी रोक लगेगी। डा. खान का दावा है कि इस तकनीक में पानी की 90 फीसदी बचत होगी और इस विधि से पौधे जल्द तैयार हो जाते है।

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