पंचायती राज प्रतिनिधियों का बढ़ाया जाए मानदेय

Edited By Kuldeep, Updated: 27 Jun, 2022 06:43 PM

una panchayati raj representative honorarium to be increased

पंचायती राज महासंघ हिमाचल प्रदेश ने पंचायती राज प्रतिनिधियों के मानदेय को बढ़ाने की मांग उठाई है। महासंघ ने पंचायत सदस्यों के लिए 7000 रुपए, उपप्रधानों के लिए 18,000 रुपए, प्रधानों के लिए 20,000 रुपए, पंचायत समिति सदस्य के लिए 21,000 रुपए, जिला...

ऊना (विशाल): पंचायती राज महासंघ हिमाचल प्रदेश ने पंचायती राज प्रतिनिधियों के मानदेय को बढ़ाने की मांग उठाई है। महासंघ ने पंचायत सदस्यों के लिए 7000 रुपए, उपप्रधानों के लिए 18,000 रुपए, प्रधानों के लिए 20,000 रुपए, पंचायत समिति सदस्य के लिए 21,000 रुपए, जिला परिषद सदस्यों को 25,000 और जिला परिषद अध्यक्षों के लिए 50 हजार रुपए मासिक मानदेय की मांग रखी है। पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर से मांग रखते हुए महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र सिंह चंदेल, प्रदेश संयोजक बीरबल शर्मा, प्रदेश महामंत्री खूबराम लुहरखरा और एडवोकेट संजीव कुमार व जिला ऊना के अध्यक्ष मेहताब ठाकुर ने कहा कि पंचायती राज के समस्त चुने हुए प्रतिनिधियों को अच्छा मानदेय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंचायती राज प्रतिनिधियों को वर्ष 2005 से पैंशन दी जानी चाहिए। प्रत्येक पंचायत प्रतिनिधियों के पहचान पत्र बनाए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि किसी भी विभाग या सचिवालय में विकास कार्य के लिए जाने पर पंचायत प्रतिनिधियों को आम नागरिक की तरह लाइन में खड़ा होना पड़ता है, जिससे समय बर्बाद होता है और विकास कार्यों में देरी होती है।

खाली भूमि पंचायतों को लीज पर दी जाए
महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पंचायती राज के तहत पंचायतों के अधीन जो राजस्व सरकारी भूमि खाली पड़ी है और जिस भूमि पर पेड़-पौधे न हों, उस भूमि को पंचायतों के अधीन करने या पंचायतों को लीज पर प्रदान करने स्वीकृति दी जाए। इससे पंचायतें उस भूमि पर दुकानों का निर्माण कर सकेंगी और बेरोजगार नौजवानों को रोजगार चलाने के लिए किराए पर दे सकती हैं। इससे पंचायतों को आय का साधन प्राप्त होगा और बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध होगा।

मनरेगा में 60-40 की शर्त हटाई जाए
मनरेगा में 60-40 की शर्त हटाकर 40-60 की जाए। हिमाचल की भौगोलिक परिस्थिति में यह कार्य 60-40 की शर्त में नहीं हो सकते हैं और मिस्त्री को मनरेगा कार्यों में मजदूरी खर्चा (मस्ट्रोल) में डाला जाए, उसे मैटीरियल में न गिना जाए ताकि उनकी अदायगी समय पर व सही दर से की जानी सुनिश्चित की जा सके। सरकार और अन्य विभागों द्वारा पंचायतों में विकास कार्यों को करवाने के लिए दी गई स्वीकृत राशि को पंचायत के माध्यम से ही खर्च किया जाए और विकास कार्य को पंचायतों के द्वारा ही करवाया जाए और अन्य किसी संस्था को अनापत्ति न दी जाए।

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