पेपर लीक मामला : विभागीय इंक्वायरी बैठने से बढ़ सकती हैं उमा आजाद की मुश्किलें

Edited By Vijay, Updated: 16 Sep, 2024 10:33 PM

uma azad s problems may increase due to departmental inquiry

हमीरपुर स्थित राज्य कर्मचारी चयन आयोग में हुए बहुचर्चित पेपर लीक मामले में विजीलैंस द्वारा मुख्य आरोपी बनाई गई उमा आजाद की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

हमीरपुर (अजय): हमीरपुर स्थित राज्य कर्मचारी चयन आयोग में हुए बहुचर्चित पेपर लीक मामले में विजीलैंस द्वारा मुख्य आरोपी बनाई गई उमा आजाद की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं, क्योंकि अब कमीशन (विभाग) द्वारा गठित इंक्वायरी कमेटी भी इन मामलों में उसकी संलिप्तता और उसकी भूमिका की बहुत गहनता से जांच करने में जुट गई है। बता दें कि इंक्वायरी कमेटी गठित होने से पूर्व वह विजीलैंस द्वारा 14 मामलों में दर्ज एफआईआर में नामजद होने के कारण ही परेशानी झेल रही थी।

हालांकि विजीलैंस द्वारा उसके विरुद्ध दर्ज की गई इन एफआईआर के संदर्भ में उसकी गिरफ्तारी भी हुई और पेपर लीक के अलग-अलग मामलों में कई मर्तबा कोर्ट में भी पेश किया गया है, जहां से वह जमानत पर रिहा होने में कामयाब भी रही है। विजीलैंस द्वारा अब भी उससे पूछताछ किए जाने का सिलसिला लगातार जारी है। इन सभी कार्रवाईयों के उपरांत उमा आजाद को अब विभागीय इंक्वायरी का भी सामना करना पडेगा, जिससे उसकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक दिसम्बर 2022 में पेपर लीक मामले में विजीलैंस द्वारा उसका किरदार सामने लाने पर उसे आयोग से सस्पैंड कर दिया गया था और मौजूदा समय में भी वह सस्पैंड ही हैं, परंतु उसके उपरांत आयोग के भंग होने के कारण लम्बे समय तक आयोग (विभाग) द्वारा उसके खिलाफ कोई विभागीय इंक्वायरी नहीं बिठाई जा सकी थी। इससे उमा आजाद को सिर्फ विजीलैंस और कोर्ट की कार्रवाई का ही सामना करना पड़ रहा था, लेकिन अब विभागीय जांच और कार्रवाई का सामना करना उसके लिए एक अहम चुनौती बन सकता है।

काबिलेगौर है कि कमीशन के दोबारा बहाल होने के उपरांत भी कुछ अरसे तक किसी भी अधिकारी को डिसिप्लिन कमेटी गठित करने और डिसिजन लेने के लिए अधिकृत नहीं किया गया था। जिसके बाद कमीशन के नवनियुक्त कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इन महत्वपूर्ण कार्यों के लिए किसी एक अधिकारी की तैनाती की मांग करने बारे सरकार से पत्राचार किया था। पत्राचार के उपरांत सरकार ने इसके लिए चेयरमैन की तैनाती कर उन्हें अधिकृत किया था। अब चेयरमैन द्वारा उमा आजाद की विभागीय इंक्वायरी के लिए इंक्वायरी ऑफिसर्स की तैनाती कर दी है। जो इस समय इन मामलों में उमा आजाद की कितनी भूमिका रही, इस जांच में जुटी है।

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक करीब 2 महीने पहले इस कमेटी को जांच का जिम्मा दिया गया है। विभागीय नियमों के मुताबिक 6 महीने के भीतर इस जांच को पूर्ण कर चेयरमैन के समक्ष पेश करना होता है। बताया जा रहा है कि उमा आजाद को मौजूदा समय में सैलरी के करीब 50 प्रतिशत (अलाऊंस) सरकार से मिल रहे हैं। अगर इंक्वायरी कमेटी अपनी रिपोर्ट में उसे दोषी करार देती है तो उसे टर्मिनेट भी किया जा सकता है। इससे पहले विभागीय इंक्वायरी कमेटी गठित नहीं होने की वजह से उसका सस्पैंशन ही बढ़ाया जाता रहा है। खैर यह तो इंक्वायरी कमेटी की रिपोर्ट तय करेगी कि उसे दोषी नहीं पाए जाने की स्थिति में बहाल किया जाता है या फिर दोषी पाए जाने पर टर्मिनेट, परंतु उसकी इंक्वायरी कमेटी गठित होने से उसकी परेशानी जरूर बढ़ेगी।

विभागीय इंक्वायरी कमेटी गठित की गई है, रिपोर्ट आने पर नियमानुसार कार्रवाई होगी : जितेंद्र सांजटा
इसके बारे में पुष्टि करते हुए कमीशन के प्रशासनिक अधिकारी जितेन्द्र सांजटा ने बताया कि विभागीय इंक्वायरी कमेटी इस मामले की जांच कर रही है। रिपोर्ट आने के बाद नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। अगर रिपोर्ट में वह दोषी पाई जाती हैं तो उन्हें सर्विस से टर्मिनेट भी किया जा सकता है। अभी तक उनका सस्पैंशन बढ़ाया जाता रहा है। चेयरमैन को अधिकृत करने के उपरांत ही इंक्वायरी कमेटी गठित हुई है।
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