मणिमहेश यात्रा के शुभारंभ से पहले हजारों श्रद्धालु कर चुके पवित्र झील में स्नान (Watch Pics)

Edited By Vijay, Updated: 30 Aug, 2018 04:53 PM

thousands of devotees bath in holy lake before the launch of manimshahi yatra

प्रसिद्ध धार्मिक मणिमहेश की विधिवत यात्रा 2 सितम्बर से शुरू होगी लेकिन इससे पहले ही हजारों की तादाद में श्रद्धालु अब तक पवित्र झील में स्नान कर चुके हैं। मेले से पहले यहां करीब 70 से अधिक विभिन्न धार्मिक संस्थाओं ने लंगरों की स्थापना की है।

ऊना (सुरेन्द्र): प्रसिद्ध धार्मिक मणिमहेश की विधिवत यात्रा 2 सितम्बर से शुरू होगी लेकिन इससे पहले ही हजारों की तादाद में श्रद्धालु अब तक पवित्र झील में स्नान कर चुके हैं। मेले से पहले यहां करीब 70 से अधिक विभिन्न धार्मिक संस्थाओं ने लंगरों की स्थापना की है। ये संस्थाएं श्रद्धालुओं के लिए तमाम प्रकार के व्यंजन परोसने के साथ-साथ कई अन्य सुविधाएं भी नि:शुल्क प्रदान कर रही हैं। हिमाचल व पंजाब सहित अन्य कई राज्यों की धार्मिक संस्थाओं ने सेवाभाव से लंगर लगाए हैं। यहां तक कि दवाइयां भी नि:शुल्क दी जा रही हैं।
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श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होने से कम पड़ रही व्यवस्थाएं
मणिमहेश की पवित्र यात्रा के लिए हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं का जुटना शुरू हो गया है। प्रशासन ने यात्रा के संचालन के लिए काफी व्यवस्थाएं की हैं लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होने की वजह से व्यवस्थाएं भी कम पड़ रही हैं। सबसे अधिक दिक्कत चम्बा से भरमौर और भरमौर से हड़सर तक सड़क पर लगने वाले जाम से आ रही है। यहां तक कि भरमौर से माता भरमाणी देवी मंदिर में माथा टेकने जाने वाले श्रद्धालुओं को भी जाम का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि इस बार यहां वन-वे ट्रैफिक का इंतजाम किया गया है। सड़क को भी बेहतर बनाया गया है ताकि श्रद्धालुओं को भी कोई दिक्कत न आए।
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यात्रा के दौरान जगह-जगह लंगर स्थापित
मणिमहेश यात्रा प्रारंभ करने से पहले असंख्य श्रद्धालु माता भरमाणी जी के दर्शन करते हैं और यहां कुंड में स्नान करने के उपरांत अगली यात्रा शुरू करते हैं। इस बार आस्ट्रेलिया से आए नागरिकों ने भी पवित्र डल झील में स्नान किया और पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन किए। आस्ट्रेलिया से आए एक दल ने माना कि वह 2 दिनों की पैदल यात्रा के बाद यहां पहुंच पाए हैं। करीब 14 किलोमीटर पैदल यात्रा के दौरान जगह-जगह पर लंगर स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त यात्रियों के रुकने के लिए भी व्यवस्थाएं की गई हैं।  मणिमहेश की पैदल यात्रा काफी कठिन है, ऐसे में श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ दूसरी भी कई व्यवस्थाएं प्रशासन ने की हैं।
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बेस कैंप धनछो में काफी व्यवस्थाएं
यात्रा के दौरान बेस कैंप बनाए गए धनछो में काफी व्यवस्थाएं हैं। कठिन यात्रा न करने वालों के लिए हैलीकॉप्टर सेवा भी प्रारंभ की गई है। हालांकि हैलीटैक्सी सेवा के लिए यू.टी. एयर ने 25 अगस्त से ऑनलाइन बुकिंग शुरू कर दी थी लेकिन 28 अगस्त तक भी इस कंपनी के पास संचालन के लिए डी.जी.सी.ए. की परमिशन नहीं थी, जिस वजह से ऑनलाइन बुकिंग करने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
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प्राकृतिक सुंदरता पर ग्रहण लगा रहा प्लास्टिक युक्त कचरा
हालांकि प्रशासन ने पूरी तरह से प्लास्टिक को बैन कर दिया है। जगह-जगह डस्टबिन भी रखे हैं परन्तु इसके बावजूद तमाम यात्रा मार्ग पर जमकर प्लास्टिक युक्त कचरा देखने को मिल रहा है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि पवित्र गौरी कुंड से लेकर करीब एक किलोमीटर दूर पवित्र डल झील तक के मार्ग पर अत्यधिक प्लास्टिक युक्त कचरा यहां के सौंदर्य तथा प्राकृतिक वातावरण को प्रदूषित कर रहा है। प्रशासन ने जगह-जगह टॉयलेट्स की व्यवस्था तो की है परन्तु बेहतर साफ-सफाई न होने की वजह से खुले में ही श्रद्धालुओं को टॉयलेट जाना पड़ रहा है। इससे गंदगी का और माहौल उत्पन्न हो रहा है। मेला शुरू होगा तो श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा, ऐसे में यहां सफाई की बड़ी दिक्कत उत्पन्न हो जाएगी।
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श्रद्धालुओं को भी समझनी होगी जिम्मेदारी
 श्रद्धालुओं को भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन करना जरूरी है। हर जगह कचरा फैंका जा रहा है। सबसे बड़ी चुनौती प्लास्टिक युक्त कचरे की है। अपने साथ श्रद्धालु प्लास्टिक का सामान लाते हैं और बाद में प्लास्टिक को यहीं पर फैंक दिया जाता है। हालांकि लंगर संस्थाओं ने इस बार डिस्पोजवेल का प्रयोग बंद कर दिया है जिससे काफी राहत भी मिल रही है। मणिमहेश के पवित्र स्थल से लेकर भरमौर तक दूरसंचार संपर्क भी अभी तक स्थापित नहीं हो पाया है। न किसी कंपनी की वहां मोबाइल सेवा शुरू हुई है। इससे न केवल श्रद्धालुओं को दिक्कत आ रही है बल्कि हैलीटैक्सी सेवा का प्रयोग करने वालों को भी परेशानी हो रही है।
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क्या कहते हैं ए.डी.एम. भरमौर
ए.डी.एम. भरमौर एवं मेला अधिकारी पृथीपाल सिंह ने कहा कि प्रशासन ने तमाम व्यवस्थाएं मेले को सुचारू रूप से चलाने के लिए की हैं। सुरक्षा के बंदोबस्त हैं। जगह-जगह डस्टबिन लगाए गए हैं। ट्रैफिक प्लान बेहतर किया गया है। प्लास्टिक के प्रयोग को बंद कर दिया गया है। लंगर संस्थाए भी बर्तनों में ही लंगर का वितरण कर रही हैं। शीघ्र ही टैलीफोन सेवा मुहैया करवाई जा रही है। टॉयलेट्स सिस्टम के अतिरिक्त जगह-जगह श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बूथ स्थापित किए गए हैं। हैलीटैक्सी सेवा भी श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध करवाई गई है। यू.टी. एयर की हैलीटैक्सी सेवा को अनुमति मिल गई है, ऐसे में कंपनी अपनी नियमित उड़ान कर रही है।
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