इस बार विधानसभा चुनावों पर 50 करोड़ से कम आएगा खर्च

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Nov, 2017 10:20 AM

this time assembly election on 500 crore from less will come expense

चुनाव में ड्यूटी देने वाले कर्मचारियों को ई-पेमैंट के माध्यम से टी.ए. व डी.ए. का भुगतान किया जाएगा। इससे टी.ए./डी.ए. की रकम सीधे कर्मचारियों के बैंक खातों में जाएगी। इसी मकसद से निर्वाचन विभाग ने चुनाव में ड्यूटी देने वाले सभी कर्मचारियों का बैंक...

शिमला: चुनाव में ड्यूटी देने वाले कर्मचारियों को ई-पेमैंट के माध्यम से टी.ए. व डी.ए. का भुगतान किया जाएगा। इससे टी.ए./डी.ए. की रकम सीधे कर्मचारियों के बैंक खातों में जाएगी। इसी मकसद से निर्वाचन विभाग ने चुनाव में ड्यूटी देने वाले सभी कर्मचारियों का बैंक खाता नंबर ले रखा है। निर्वाचन विभाग जल्द ही टी.ए./डी.ए. का भुगतान करने के दावे कर रहा है। ई-पेमैंट से भुगतान का प्रयोग पहली बार किया जा रहा है। इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव पर 50 करोड़ रुपए से कम का खर्च आएगा। केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में चुनाव के लिए 50 करोड़ रुपए दे रखे हैं। मतगणना पूरी होने के बाद कुल खर्च का पता लग पाएगा। 


13वीं विधानसभा के चुनाव में 37,605 कर्मचारी दे रहे हैं ड्यूटी
उल्लेखनीय है कि 13वीं विधानसभा के चुनाव में 37,605 कर्मचारी ड्यूटी दे रहे हैं। इन्हें टी.ए./डी.ए. का भुगतान इनकी बेसिक सैलरी के हिसाब से दिया जाएगा। इन कर्मचारियों ने जितने दिन विधानसभा चुनाव में ड्यूटी दी है, उतने दिन का इन्हें टी.ए./डी.ए. दिया जाएगा। इनके अलावा 17,850 पुलिस व होमगार्ड और केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों के 6500 जवानों ने भी विधानसभा चुनाव में ड्यूटी दी है, जबकि केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों की 23 कंपनियां अभी भी स्ट्रांग रूम के बाहर पहरा दे रही हैं। प्रदेश पुलिस-होमगार्ड और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों को चुनाव विभाग 140 रुपए रोजाना के हिसाब से डाइट मनी देगा, जबकि गृह विभाग इन्हें टी.ए./डी.ए. का भुगतान करेगा। 


मतदान प्रक्रिया संपन्न होने के बाद कर्मचारी अपने-अपने विभागों में लौटे
मतदान प्रक्रिया संपन्न होने के बाद सभी कर्मचारी अपने-अपने विभागों में लौट गए हैं। कई कर्मचारी 20 से भी ज्यादा दिनों के बाद अपने विभागों को लौट रहे हैं। इनमें ज्यादातर कर्मचारी शिक्षा विभाग के ड्यूटी दे रहे थे। इस कारण बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने गैर-शिक्षण कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी न लगाने के निर्देश दे रखे हैं, लेकिन हर बार विधानसभा, लोकसभा और पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों के दौरान भारी संख्या में शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी में झोंका जाता है। इस बार भी ठीक ऐसा ही किया गया, जबकि शीतकालीन अवकाश वाले सभी स्कूलों में बच्चों की वार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं। 

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