Edited By prashant sharma, Updated: 27 Mar, 2021 11:30 AM
नगर निगम चुनाव में इस बार धर्मशाला से भाजपा व कांग्रेस के कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। धर्मशाला नगर निगम चुनाव में इस बार दोनों पार्टियों के नेताओं के लिए वर्चस्व की लड़ाई मानी जा रही है।
धर्मशाला (जिनेश) : नगर निगम चुनाव में इस बार धर्मशाला से भाजपा व कांग्रेस के कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। धर्मशाला नगर निगम चुनाव में इस बार दोनों पार्टियों के नेताओं के लिए वर्चस्व की लड़ाई मानी जा रही है। नगर निगम में फतेह हासिल करने को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है। विधानसभा व उपचुनाव में धर्मशाला से हार मिलने के बाद कांग्रेस के नेता भी नगर निगम चुनाव जीत कर अपने आपको ओर मजबूत करने में लगे हुए है, ताकि आगामी चुनावों में अपनी पैठ बरकरार रखी जा सकें। वहीं भाजपा को धर्मशाला में जिला परिषद व बी.डी.सी. चुनावों में झोली खाली रहने के चलते नगर निगम चुनाव में जीत का पर्चम लहराकर अपनी स्थिति सुदृढ़ करने की कदम ताल में जुटी हुई है।
निर्वतमान महापौर, उपमहापौर सहित पूर्व महापौर की भी वर्चस्व की लड़ाई
धर्मशाला नगर निगम में जहां दोनों ही पार्टियों के नेताओं की बर्चस्व की लड़ाई तो मानी ही जा रही है तो वहीं 2 पार्षदों की भी प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। दोनों ही पूर्व पार्षद इस बार वार्ड आरक्षित होने के चलते अपने वार्डों को छोड़कर दूसरे वार्डों में चुनाव लड़ रहे है। दोनों ही पार्षद निगम में महापौर व उपमहापौर के पद पर रहे है। वहीं पहले रहे महापौर अपने ही वार्ड से चुनाव लड़ रहे है। ऐसे में दुबारा निगम चुनाव में जीत हासिल करना उनके बर्चस्व की लड़ाई मानी जा रही है।
कौन मैदान में आज स्थिति होगी साफ
नगर निगम चुनाव में नामांकन पत्रों की छटनी के बाद शनिवार को नामांकन वापिस लिए जा सकते है। दोनों ही पार्टियां अपने नाराज चल रहे कार्यकर्ताओं जिन्होंने निगम चुनाव में आजाद उम्मीदवार बन कर नामांकन भरे है उनको मनाकर नाम वापिस लेने के लिए पिछले 4 दिनों से कसरत कर रही थी, साथ ही पार्टी द्वारा दिए गए चेहरों के पक्ष में समर्थन करने को प्रयास किए जा रहे थे। शनिवार को इसकी स्थिति साफ हो जाएगी की कितने लोग चुनावी मैदान में है और अपने नाराज चल रहे कार्यकर्ताओं को मनाने में कितने सफल रहे है।