Edited By Vijay, Updated: 26 Sep, 2021 10:49 PM
लोक निर्माण विभाग से टर्मिनेट किए गए जूनियन इंजीनियर (जेई) ने कानूनी सलाह के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। टर्मिनेट जेई पीयूष कुमार ने बताया कि अधिवक्ता से इस संदर्भ में बात कर ली है। एसोसिएशन के मुख्य सलाहकार सीता राम ठाकुर ने...
शिमला (देवेंद्र): लोक निर्माण विभाग से टर्मिनेट किए गए जूनियन इंजीनियर (जेई) ने कानूनी सलाह के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। टर्मिनेट जेई पीयूष कुमार ने बताया कि अधिवक्ता से इस संदर्भ में बात कर ली है। एसोसिएशन के मुख्य सलाहकार सीता राम ठाकुर ने बताया कि डेढ़ साल की नौकरी के बाद जेई को बाहर करना दुर्भाग्यपूर्ण है। इन पदों को विज्ञापित करते वक्त विभाग और स्टाफ सिलैक्शन कमीशन की लापरवाही की वजह से आज 56 बच्चों का भविष्य अंधकार में है। उन्होंने बताया कि नौकरी लगने के बाद सभी बच्चे पढ़ाई भी छोड़ चुके हैं और अलग-अलग क्षेत्रों में तैनाती के बाद काम सीख चुके हैं। इसे देखते हुए उन्होंने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि नौकरी से हटाए गए 56 जेई की बहाली को लेकर विचार किया जाए।
उन्होंने बताया कि जेई पदों के लिए जब विज्ञापन जारी किया गया था, उस दौरान यह स्पष्ट होना चाहिए था कि डिग्री धारकों को रखा जाए या फिर डिप्लोमा धारकों को। बता दें कि जनवरी 2020 में 82 जेई कमीशन पास करके नौकरी पर लगे थे। उस दौरान सभी पद इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारकों में से भरे गए थे और डिग्री धारकों को बाहर किया गया था। डिग्री धारकों ने इसे कोर्ट में चुनौती दी और अब कोर्ट के आदेशों पर ही डिप्लोमा धारक 56 जेई बाहर किए गए हैं।
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