Edited By Simpy Khanna, Updated: 14 Oct, 2019 11:13 AM
कभी वीरान हो चुकी भूमि ने फिर सोना उगला है। बंदरों तथा अन्य वन्य प्राणियों से आहत किसान खेतीबाड़ी छोड़ चुके थे, परंतु कुछ तारों की बाड़बंदी में सूर्य की ऊष्मा दौड़ी और इन खेतों को फिर हरा-भरा कर दिया। माता आशापुरी के चरणों में बसे गांव सुआं में सोलर...
पालमपुर (भृगु) : कभी वीरान हो चुकी भूमि ने फिर सोना उगला है। बंदरों तथा अन्य वन्य प्राणियों से आहत किसान खेतीबाड़ी छोड़ चुके थे, परंतु कुछ तारों की बाड़बंदी में सूर्य की ऊष्मा दौड़ी और इन खेतों को फिर हरा-भरा कर दिया। माता आशापुरी के चरणों में बसे गांव सुआं में सोलर फैंसिंग किसानों के लिए कारगर सिद्ध हुई है।गांव में किसानों ने अपने खेतों में मक्का, उड़द, सोयाबीन, कुलथ, सब्जियां व अन्य फसलों की बुआई की।
बुआई में किसानों ने देसी खाद का उपयोग किया तो परिणाम बंपर फसल के रूप में सामने आए हैं। इस गांव से कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल का संबंध है। सुआं कुलपति का पैतृक गांव है।मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत सुआं में किसानों ने बंदरों तथा अन्य वन्य प्राणियों से फसलों की सुरक्षा के लिए सोलर फैंसिंग लगाने का निर्णय लिया था। इस योजना के अंतर्गत गांव में लगभग 1976 मीटर तार लगाई गई थी, जिसकी कुल लागत 20.53 लाख रुपए आई थी।