Edited By Kuldeep, Updated: 07 Sep, 2020 10:29 PM
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ राज्यपालों, उप-राज्यपालों तथा कुलपतियों की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर वीडियो कान्फ्रैंस हुई। इसमें प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने भी भाग लिया।
शिमला (ब्यूरो): भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ राज्यपालों, उप-राज्यपालों तथा कुलपतियों की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर वीडियो कान्फ्रैंस हुई। इसमें प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने भी भाग लिया। इस दौरान राष्ट्रपति ने अध्यक्षीय भाषण दिया। बैठक को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित किया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने बैठक में भाग लिया। इस मौके पर राज्यपालों, उप-राज्यपालों और शिक्षा मंत्रियों ने विचार-विमर्श सत्र में भाग लेकर अपने विचार व्यक्त किए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर अपने विचार व्यक्त करते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि प्रदेश मंत्रिमंडल ने इसके लिए टास्क फोर्स का गठन करने का निर्णय लिया है। दत्तात्रेय ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन करने के निर्देश दिए गए हैं, जो शीघ्र ही अपनी संस्थाओं के लिए दृष्टिपत्र तैयार करेंगे कि किस प्रकार वे वर्ष 2040 तक बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय बनाएंगे। इसको लेकर समय-समय पर समीक्षा की जाएगी। उन्होंने आग्रह किया कि इस नीति को लागू करने के लिए जिन संस्थागत एवं ढांचागत बदलावों की आवश्यकता है, उनके लिए हिमाचल प्रदेश को केन्द्र सरकार से वित्तीय सहयोग निरंतर मिलता रहेगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण ऑनलाइन शिक्षा बढ़ी है, लेकिन इसके लिए शिक्षकों व विद्याॢथयों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। इस दिशा में काम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों व दूरदराज के क्षेत्रों में दूरभाष और इंटरनैट की व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है, जिससे विद्याॢथयों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल ने यह संकल्प किया है कि इस नीति को लागू करने में प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद से ही उन्होंने सभी सम्बन्धित संस्थाओं, समूहों और विशेषज्ञों से चर्चा आरम्भ की है। गत दिनों सभी कुलपतियों के साथ विचार-विमर्श किया गया और अध्यापकों, शिक्षाविदों, अभिभावकों, बच्चों तथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ भी इस पर विस्तृत चर्चा की है। उन्होंने कहा कि नीतिगत दस्तावेज को प्रदेश में लागू करने के लिए उन्होंने इस विषय में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से भी विचार-विमर्श किया है।