विज्ञान अध्यापक संघ ने दी चेतावनी, कहा- विभाग ने वेतन वृद्धि रोकी तो होगा संघर्ष

Edited By Vijay, Updated: 20 Sep, 2018 10:30 PM

science teacher association said if stopped the pay raise then will be struggle

प्रदेश विज्ञान अध्यापक संघ ने शिक्षा विभाग के उस फरमान का कड़ा विरोध जताया है, जिसमें विभाग ने बोर्ड परीक्षा में 25 प्रतिशत से कम रिजल्ट वाले शिक्षकों की वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का फरमान दिया है। विज्ञान अध्यापक संघ मंडी की बैठक प्रदेश प्रवक्ता...

मंडी: प्रदेश विज्ञान अध्यापक संघ ने शिक्षा विभाग के उस फरमान का कड़ा विरोध जताया है, जिसमें विभाग ने बोर्ड परीक्षा में 25 प्रतिशत से कम रिजल्ट वाले शिक्षकों की वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का फरमान दिया है। विज्ञान अध्यापक संघ मंडी की बैठक प्रदेश प्रवक्ता एवं मंडी जिला के प्रधान नरेंद्र ठाकुर की अध्यक्षता में हुई। इस मौके पर विज्ञान शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के वाॢषक वेतन वृद्धि रोकने के फरमान का विरोध जताते हुए ऐलान किया कि अगर विभाग द्वारा वेतन वृद्धि रोकी गई तो संघ संघर्ष करने से गुरेज नहीं करेगा। इस मौके पर संघ के प्रवक्ता एवं मंडी जिला के प्रधान नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि 10वीं की बोर्ड परीक्षा में विद्यार्थियों के निराशाजनक परिणाम के पीछे सिर्फ विज्ञान व मैथ के शिक्षक ही जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे की नींव प्राथमिक पाठशालाओं में पड़ती है लेकिन अब कम रिजल्ट रहने के लिए सिर्फ मैथ व विज्ञान अध्यापकों पर इस तरह के फरमान जारी करना तर्कसंगत नहीं है।

रिजल्ट कम रहने पर शिक्षकों को दोष देना सही नहीं
उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा एक तो नवमी कक्षा तक बिना फेल किए बच्चों को पास किया जा रहा है और 10वीं की बोर्ड परीक्षा में बच्चों का रिजल्ट कम रहने से सिर्फ शिक्षकों को दोष देना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि पहली कक्षा से नवमी कक्षा तक फेल न होने की प्रथा से बच्चों के शिक्षण स्तर में सुधार नहीं हो पा रहा है क्योंकि बच्चों के मन में फेल होने का कोई डर नहीं रहता। इस मौके पर संघ के महासचिव जय सिंह ठाकुर, भीम सिंह, सदर के प्रधान लवनीन कुमार, सुनील कुमार, भूप सिंह, कृष्ण यादव, इंद्र सिंह, पूजा वैद्य, देश राज, इंद्रजीत व राजेश्वर गुलेरिया सहित अनेक पदाधिकारी व सदस्य मौजूद रहे।

प्राथमिक स्कूलों में विषयवार तैनात हों शिक्षक  
संघ का कहना है कि पहली से 5वीं कक्षा तक विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए ताकि बच्चों को शुरूआती समय में ही सभी विषयों को बेहतर ढंग से ज्ञान मुहैया करवाया जा सके। संघ का कहना है कि प्राथमिक पाठशालाओं में एक तो शिक्षकों की कमी रहती है और ऊपर से उन्हें एक दिन में करीब 25 से 30 विषय पढ़ाने पड़ते हैं जो कि एक कठिन कार्य हैं।

5वीं व 8वीं कक्षा की हो बोर्ड परीक्षा
संघ ने कहा है कि 5वीं व 8वीं कक्षाओं की परीक्षा बोर्ड द्वारा ली जानी चाहिए ताकि इससे एक तो बच्चे के मन में पढ़ाई की ङ्क्षचता रहेगी और दूसरी ओर उसके अंदर फेल होने का डर भी रहेगा। यही नहीं, बोर्ड की परीक्षा करवाने के साथ इसे सी.सी.टी.वी. की निगरानी में करवाया जाए ताकि पहली से नवमी कक्षा तक पढ़ाने वाले शिक्षकों की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित की जा सके।

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