संयुक्त किसान मंच ने उठाई 2005 के एपीएमसी एक्ट को लागू करने की मांग

Edited By prashant sharma, Updated: 10 Sep, 2021 03:17 PM

sanyukta kisan manch raised the demand for implementation of apmc act of 2005

संयुक्त किसान बागवान मंच ने हिमाचल के ऊपरी हिस्सों में विभिन्न विचारधारा से जुड़े किसान बागवान संगठनों को एक कर हकों की लड़ाई के लिए जागरूक करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में रामपुर में मंच की बैठक ठियोग के विधायक राकेश सिंघा की अगुवाई में हुई।

रामपुर बुशहर (विशेषर नेगी) : संयुक्त किसान बागवान मंच ने हिमाचल के ऊपरी हिस्सों में विभिन्न विचारधारा से जुड़े किसान बागवान संगठनों को एक कर हकों की लड़ाई के लिए जागरूक करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में रामपुर में मंच की बैठक ठियोग के विधायक राकेश सिंघा की अगुवाई में हुई। जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े किसान नेताओं के अलावा पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। बैठक में सेब के गिरते मूल्य को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ बड़ी कंपनियों की साजिश से सेब पर संकट आया है। उन्होंने इसके लिए एक होकर लड़ने की किसानों से अपील की। किसान नेताओं ने  जम्मू कश्मीर की तर्ज पर सेब बागवानों सेब का समर्थन मूल्य ए, बी, सी ग्रेड आधार पर अलग-अलग देने की सरकार से मांग उठाई।  उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश एपीएमसी एक्ट 2005 को ईमानदारी से लागू नहीं किया जा रहा है, जबकि इस एक्ट में किसान बागवानों के हितों के लिए पर्याप्त प्रावधान है। इसके अलावा किसानों का बागवानों का आढ़तियों के पास फंसा बकाया  दिलाया जाए। प्रदेश में लगाए गए सीए मालिकों को सरकार से हुए शर्तो के आधार पर अपने उत्पाद इसमें रखने की छूट दी जाए। 

जिला परिषद सदस्य त्रिलोक भलुनी ने बताया कि सभी विचारधाराओं से जुड़े लोगों का जो किसान बागवान है उनकी एक सभा बुलाई गई है। जिसमें किसानों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि यह बैठक हर क्षेत्र में की जा रही है। उन्होंने बताया कि सेब को पहले ही प्रकृति की मार इस बार झेलनी पड़ी थी। उसके बाद अब आढ़तियों ने बागवानों की कमर तोड़ी है। किसानों को एक होकर लड़ने की जरूरत हो गई है। ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने बताया कि आज की तारीख में सेब उत्पादक पीड़ा से गुजर रहा है, जो सेब वो मंडियों में ले जा रहा है, लागत उसको मिल नहीं पा रही है। जो कानून भी बने हैं वह भी नियंत्रण करने में सरकार  और सरकारी तंत्र असफल है। बोली मंडी में क्या होती है और क्या पर्चे बन रहे हैं, क्या भाड़ा है, क्या उतारने का है। किसानों से लूट हो रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य जम्मू कश्मीर के तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी किसान को मिले, इन बातों को लेकर के आज एक रामपुर में बैठक हुई है।

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