Edited By Punjab Kesari, Updated: 08 Oct, 2017 12:14 AM
रातभर अधिष्ठाता रघुनाथ के मैदान व तिरंगे के नीचे बाल श्रम चलता रहता है और इसे तमाशे का नाम दिया जाता है।
कुल्लू: रातभर अधिष्ठाता रघुनाथ के मैदान व तिरंगे के नीचे बाल श्रम चलता रहता है और इसे तमाशे का नाम दिया जाता है। हैरानी तो इस बात की है कि इस तमाशे को करने वाली एक नाबालिग ही है जबकि छानबीन करने पर पाया कि अपनी नन्ही बच्ची की कमाई पूरा परिवार खा रहा है। बेटी का बाप तो तमाशा करने वाली अपनी लड़की की कमाई पर ऐश करता है तथा शराब के नशे में रात को धुत्त रहता है। उसके बाद लड़की को 2 डंडों में बंधी रस्सी पर चलने को कहता है। कई बार ऐसा भी समय आया कि लड़की न चाहते हुए भी ऐसा करने को विवश थी। बिना आराम किए लड़की उठती है और रस्सी पर चलने को बाध्य हो जाती है। ये लोग छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। तिरंगे के नीचे ही इसे अंजाम दिया जा रहा है जबकि लोगों की भीड़ वाहवाही करने में ही व्यस्त रहती है।
दशहरा उत्सव में बाल श्रम का उल्लंघन
एक बार भीड़ से पैसा बटोरने के बाद दूसरी मर्तबा बिना आराम किए तमाशे को शुरू किया जाता है। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि एक नन्ही बालिका को आराम किए बिना ही रस्सी पर सिलसिलेबार क्रम से चलाया जाता है। सैंकड़ों की तादाद में सुरक्षा कर्मियों ने भी इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। दशहरा उत्सव में कई स्थानों पर बाल श्रम का उल्लंघन किया जा रहा है। कई ढाबे के भीतर काम कर रहे हैं जबकि नन्ही लड़कियां मैदान में तमाशा करने में मशगूल हैं। इसे लेकर जिला प्रशासन पर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि क्या दशहरा उत्सव में बाल श्रम को लेकर छूट है।
हुनर सड़कों पर कर रहा तमाशा
हुनर सड़कों पर तमाशा कर रहा है और इसकी ओर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों का ध्यान नहीं जा रहा है, यह भी चिंतनीय है। वहीं तिरंगे को हर जगह पर सम्मान दिया जाता है लेकिन उसी तिरंगे के नीचे बाल श्रम को अंजाम दिया जा रहा है। फिर नशे में धुत्त होकर युवा वर्ग बेटी पर धनवर्षा करता है, ऐसे में किस आधार पर ‘बेटी है अनमोल’ के थीम को सराहा जा सकता है। इस बारे में एस.पी. कुल्लू शालिनी अग्रिहोत्री का कहना है कि जो पिता अपनी बेटी की कमाई पर इस तरह से नशे में धुत्त रहता है, ऐसे पिता के खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।