शराब के 50 रुपए ज्यादा लेने पर अब ठेकेदार को अदा करने होंगे 10 हजार

Edited By Ekta, Updated: 29 Jul, 2019 09:30 AM

rs 50 wine will have to pay so the contractor to take over 10 thousand

महंगी शराब बेचना विक्रेता को उस समय भारी पड़ गया जब राज्य उपभोक्ता आयोग ने उसके द्वारा अधिक वसूली 50 रुपए की राशि को खरीददार के पक्ष में ब्याज सहित लौटाने और दस हजार अदा करने का फैसला सुनाया। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमुर्ति पीएस राणा और...

मंडी (नीरज): महंगी शराब बेचना विक्रेता को उस समय भारी पड़ गया जब राज्य उपभोक्ता आयोग ने उसके द्वारा अधिक वसूली 50 रुपए की राशि को खरीददार के पक्ष में ब्याज सहित लौटाने और दस हजार अदा करने का फैसला सुनाया। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमुर्ति पीएस राणा और सदस्यों सुनीता वर्मा व विजय कुमार खाची ने हिमाचल प्रदेश उपभोक्ता संघ की अपील को स्वीकारते हुए विक्रेता सीपीएस त्यागी (एल-2 ठेकेदार) को खरीददार रूप उपाध्याय के पक्ष में अधिक वसूले गए 50 रुपए 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित लौटाने का फैसला सुनाया। इसके अलावा विक्रेता को खरीददार के पक्ष में मानसिक यंत्रणा पहुंचाने के बदले 5000 रुपए हर्जाना तथा 5000 रुपए शिकायत व्यय भी अदा करने का आदेश दिया। आयोग ने विक्रेता को एक माह के भीतर इस आदेश की अनुपालना करने के निर्देश दिए हैं। 

अधिवक्ता दिग्विजय सिंह और किर्ती सूद के माध्यम से आयोग में दायर अपील के अनुसार हि.प्र. उपभोक्ता संघ ने शिकायत दायर की थी कि रूप उपाध्याय 20 अप्रैल 2016 को विक्रेता की दूकान से शराब खरीदने के लिए गए थे। जहां पर उन्होने आईएमएफएल ग्रीन लेबल ब्रांड की वाइन खरीदनी चाही। शराब की बोतल पर अधिकतम रिटेल मूल्य (एमआरपी) 310 रुपए अंकित था। लेकिन विक्रेता के सेल्समैन ने उनसे 360 रुपए की मांग की। जिस पर खरीददार रूप उपाध्याय ने विरोध प्रकट करते हुए सेल्समैन से रसीद की मांग की। लेकिन सेल्समैन ने रसीद देने से बिल्कुल इंकार कर दिया। हालांकि खरीददार ने इस बारे में आबकारी एवं काराधान विभाग और उपायुक्त मंडी को इस बाबत शिकायत की थी लेकिन उनकी शिकायत का निराकरण नहीं किया जा सका। जिसके चलते हिमाचल प्रदेश उपभोक्ता संघ ने जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दायर करते हुए न्याय की गुहार लगाई थी। लेकिन फोरम ने इस शिकायत के तथ्यों को दीवानी मामला मानते हुए इसे खारिज कर दिया था। जिस पर उपभोक्ता संघ ने राज्य उपभोक्ता आयोग को अपील की थी।

आयोग ने अपील को स्वीकारते हुए कहा कि विवादित मामलों को दो तरीकों से साबित किया जा सकता है। पहला तरीका चश्मदीद गवाहों के ब्यान से और दूसरा तरीका दस्तावेजों के साक्ष्यों से है। इस मामले में चश्मदीद गवाह बीआर जसवाल ने खरीददार रूप उपाध्याय के शपथ पत्र को अपने शपथ पत्र से साबित किया है कि विक्रेता के सेल्समैन ने उनसे अधिक राशि वसूल की थी। जबकि विक्रेता की ओर से चश्मदीद गवाह सेल्जमैन का शपथ पत्र दाखिल नहीं किया गया था। जिससे विक्रेता का पक्ष साबित नहीं हो सका। ऐसे में राज्य उपभोक्ता फोरम ने अपील को स्वीकारते हुए खरीददार से ज्यादा वसूली गई राशि को ब्याज सहित लौटाने और विक्रेता की सेवाओं में कमी के कारण खरीददार को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।




 

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