देश को गरीबी उन्मूलन में 102 नंबर पर पहुंचाना केंद्र की उपलब्धि: राणा

Edited By Ekta, Updated: 14 Nov, 2019 02:57 PM

rajendra rana

वर्ष 2019 में वैश्विक भूखमरी के आंकड़ों में स्थिति सुधारने में बुरी तरह पिछड़े भारत की तसवीर पर सुजानपुर के कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि वैश्विक भूखमरी के आंकड़ों में 117 देशों की सूची में हमारा देश...

हमीरपुर: वर्ष 2019 में वैश्विक भूखमरी के आंकड़ों में स्थिति सुधारने में बुरी तरह पिछड़े भारत की तसवीर पर सुजानपुर के कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि वैश्विक भूखमरी के आंकड़ों में 117 देशों की सूची में हमारा देश 102वें स्थान पर पहुंच गया है, जोकि मोदी सरकार की 6 सालों की उपलब्धि है। अंधभक्त इस पर क्या कहेंगे, जब देश गरीबी उन्मूलन में इस कद्र पिछड़ गया है, जिसमें पड़ोसी देशों को भी पछाड़ दिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में तत्कालीन मनमोहन सरकार के समय देश 55वें स्थान पर पहुंच गया था। लेकिन केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भूखमरी में दोगुना उछाल सरकार की गलत नीतियों की ओर इशारा कर रहा है। 

उन्होंने कहा कि हमसे बेहतर तो पड़ोसी मुल्क हैं, जिनमें श्रीलंका 66वें, नेपाल 73वें व बांग्लादेश 88वें स्थान पर है। कर्ज में डूबे पाकिस्तान भी 94वें स्थान पथ हमसे बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में भी देश 103वें स्थान पर था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में हमारा देश 95वें नंबर पर था लेकिन तत्कालीन मनमोहन सरकार ने मनरेगा जैसी स्कीम शुरू कर गांवों में ही रोजगार सृजित कर गरीबी उन्मूलन में बड़ी कामयाबी हासिल की थी तथा देश 55वें नंबर पर पहुंच गया था। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के 6 माह के भीतर ही सरकार ने 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपए का कर्ज आरबीआई से ले लिया है तथा चंद उद्योगपतियों के कर्जे माफ किए जा रहे हैं। बैंक बंद हो रहे हैं।

अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है तथा उद्योग बंद होने करोड़ों लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। सरकार इस पर अपनी स्थिति सपष्ट करते हुए श्वेत पत्र जारी करे। उन्होंने कहा कि जिस सरकार के राज में गरीबी उन्मूलन में देश फिसल गया है तथा पड़ोसी देश भी बेहतर स्थिति में है, ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। ऐसी सरकार को अपनी खराब नीतियों के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए तथा पड़ोसी मुल्कों से स्थिति सुधारने की सीख लेनी चाहिए।


 

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