Edited By kirti, Updated: 16 Mar, 2019 11:53 AM
ड्यूटी के दौरान हादसे का शिकार हुए हिमाचल पुलिस के जवान के परिवार को अब तक सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पाई है। महज 23 साल की उम्र में अपने कत्र्तव्य को निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले पालमपुर के पुलिस कांस्टेबल नवीन कुमार के परिवार...
पालमपुर : ड्यूटी के दौरान हादसे का शिकार हुए हिमाचल पुलिस के जवान के परिवार को अब तक सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पाई है। महज 23 साल की उम्र में अपने कत्र्तव्य को निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले पालमपुर के पुलिस कांस्टेबल नवीन कुमार के परिवार को अब भी उन वायदों के पूरे होने का इंतजार है, जो उनके बेटे के निधन के बाद राजनेताओं से लेकर पुलिस अधिकारियों ने दिए थे। पालमपुर के भगोटला गांव के कांस्टेबल नवीन कुमार प्रथम आई.आर.बी.एन. वनगढ़ में तैनात थे तथा चम्बा व जम्मू-कश्मीर की सीमा से आई.टी.बी.पी. के हटने के बाद हिमाचल पुलिस की इस बटालियन के जवानों की तैनाती इस सीमा पर की गई थी।
10 फरवरी, 2017 को कांस्टेबल नवीन कुमार व अन्य पुलिस कर्मी रूटीन गश्त पर थे। इस दौरान नवीन का पैर फिसला तथा हिमखंड की चपेट में आ गया। इस दौरान पुलिस, प्रशासन व नेताओं द्वारा बाकायदा उसके परिवार की पूरी मदद करने का आश्वासन दिया। यहां तक 30 मार्च, 2017 को बाकायदा प्रथम आई.आर.बी.एन. वनगढ़ के तत्कालीन समादेशक ने नवीन कुमार की माता शकुंतला देवी को पत्र लिखकर अवगत करवाया कि यदि वह अपने परिवार के किसी सदस्य को अनुकंपा के आधार पर नौकरी दिलाना चाहते हैं, तो आवेदन करें। बावजूद इसके आज करीब 2 साल बीतने के बाद भी परिवार के किसी सदस्य का न तो नौकरी मिल पाई है और न ही सरकार की तरफ से परिवार को कोई मदद दी गई है।
नवीन कुमार के छोटे भाई विरेंद्र कुमार व उनके मामले को सरकार के समक्ष पहुंचा रहे ओंकार धवन ने बताया कि इस बारे वे प्रदेश सरकार सहित पुलिस के आलाधिकारियों तक 19 बार अपनी फरियाद पहुंचा चुके हैं, मगर कुछ नहीं हुआ। इसको लेकर उन्होंने पी.एम.ओ. व प्रदेश के राज्यपाल के ध्यानार्थ भी मामला लाया। वहां से भी सरकार को निर्देश मिले। लेकिन इस दिशा में अब भी कुछ नहीं हुआ। अब भी उनका छोटा भाई व उनकी बुजुर्ग मां परिवार के लिए अनुकंपा के आधार पर मिलने वाली नौकरी के इंतजार में हैं। इसके अलावा नवीन कुमार के नाम पर भगोटला स्कूल का नाम करने की भी बात उठी थी। लेकिन इस बारे भी पत्राचार के अलावा कुछ नहीं हुआ।