Edited By Ekta, Updated: 10 Jun, 2019 12:02 PM
अंग्रेजों के समय के बने 164 किलोमीटर लंबे पठानकोट-जोगिंद्रनगर हैरिटेज रेल ट्रैक को सहेज कर रखना ही रेलवे विभाग की बड़ी सफलता रहेगी। यह बात रविवार को फिरोजपुर डिवीजन से कांगड़ा घाटी का निरीक्षण करने आए डी.आर.एम. राजेश अग्रवाल ने कही। अग्रवाल ने कहा...
पपरोला (गौरव): अंग्रेजों के समय के बने 164 किलोमीटर लंबे पठानकोट-जोगिंद्रनगर हैरिटेज रेल ट्रैक को सहेज कर रखना ही रेलवे विभाग की बड़ी सफलता रहेगी। यह बात रविवार को फिरोजपुर डिवीजन से कांगड़ा घाटी का निरीक्षण करने आए डी.आर.एम. राजेश अग्रवाल ने कही। अग्रवाल ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र होने के चलते अत्यधिक तीखे मोड़ व चढ़ाई होने के चलते इस रेलमार्ग पर रेल की गति को बढ़ाना फिलहाल संभव नहीं है। डी.आर.एम. ने बताया कि इस ट्रैक पर चलने वाले 4 इंजनों की आयु लगभग पूरी हो चुकी है। रेलवे ने मुंबई स्थित परेल वर्कशॉप से 4 नए इंजनों को लेकर सैक्शन भेजी है व जल्द ही नए इंजन इस ट्रैक पर दौड़ते नजर आएंगे।
इसके अलावा विभाग कांगड़ा रेलवे स्टेशन की दिशा व दशा बदलने के लिए प्रयासरत है व विभाग कांगड़ा की लोक कला को स्टेशन में प्रमोट कर रहा है। इसके लिए रेल विभाग के साथ-साथ लोगों को भी कांगड़ा सहित सभी रेलवे स्टेशनों पर साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्टीम इंजन को चलाने के लिए इसमें क्या और सुधार किए जा सकते हैं, इसकी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि रुकना समस्या नहीं पार्ट टूटना मुख्य समस्या है। उन्होंने कहा कि उनका यह पहला कांगड़ा घाटी का दौरा था, जिसमें निरीक्षण दौरान न तो कोई स्टेशन सर्वगुण संपन्न रहा और न ही कमियों से रहित स्टेशन देखने को मिला।
पालमपुर से वापस आ रहे स्टीम इंजन का टूटा पार्ट
पालमपुर से पपरोला वापस आ रहे स्टीम इंजन में एक बार फिर तकनीकी खामी आ गई और इंजन मझैरना रेलवे स्टेशन के समीप प्वाइंट 138/34 पर रुक गया। इसके बाद पपरोला से दूसरे रिलीफ इंजन को भेजकर स्टीम इंजन को वापस पपरोला लाया गया। इस दौरान पपरोला पहुंचे रेल अधिकारियों ने सफर को रोमांचक बताया और कहा कि इंजन का रुकना समस्या नहीं लेकिन पार्ट टूटना ही अहम समस्या है।