Edited By Punjab Kesari, Updated: 23 Feb, 2018 09:24 PM
टमक की थाप के मध्य गाल पर गुलाल के साथ ही पालमपुर का पारंपरिक होली मेला आरंभ हो गया।
पालमपुर: टमक की थाप के मध्य गाल पर गुलाल के साथ ही पालमपुर का पारंपरिक होली मेला आरंभ हो गया। होलाष्टक आरंभ होने के अवसर पर ध्वजारोहण की परंपरा निभाई गई प्राचीन काली बाड़ी मंदिर में वर्षों से निभाई जा रही ध्वजारोहण की परंपरा को पूरा किया गया, वहीं पालमपुर बंदला तथा लोहना में भी झांकी कमेटियों द्वारा ध्वजारोहण की रस्म अदा की गई। पारंपरिक पालमपुर होली मेला ध्वजारोहण के साथ ही आरंभ हो जाता है, ऐसे में घुघर में मेले के दृष्टिगत हाट बाजार भी सज गए, वहीं पालमपुर में श्री राधाकृष्ण मंदिर, श्री शीतला माता मंदिर तथा मुख्य चौक में ध्वजारोहण की परंपरा निभाई गई।
संतान पाने व मांगने वाले भी चढ़ाते हैं झंडा
जिन्हें संतान प्राप्त हुई वह भी बैंड बाजे के साथ झंडा चढ़ाने पहुंचे तो कुछ ने झंडा चढ़ाकर संतान प्राप्ति का वर मांगा। इस दौरान नवविवाहित जोड़े भी विवाह के पश्चात झंडा लेकर मां के दरबार पहुंचे। मान्यता है कि होलाष्टक के दिन झंडा चढ़ाकर संतान प्राप्ति का वर मांगने से अगली होली से पहले संतान की प्राप्ति होती है।
सदियों पुरानी है परंपरा
माना जाता है कि तीन शताब्दियों से यह परंपरा निर्वाध रूप से निभाई जा रही है किवदंती के अनुसार क्षेत्र में महामारी फैलने पर लोगों में त्राहि-त्राहि मच गई थी, ऐसे में महामारी से छुटकारा न मिलते देख लोग कालीबाड़ी मंदिर में बाबा शिवगिरी के पास पहुंचे तथा उनसे महामारी से छुटकारा दिलाने का आग्रह किया, जिस पर बाबा शिवगिरी में होलाष्टक के दिन कालीबाड़ी मंदिर में झंडा चढ़ाने तथा पूजा-अर्चना करने का निर्देश दिया, जिस पर लोगों ने होलाष्टक पर झंडा चढ़ाया तथा पूजा-अर्चना की। बताया जाता है कि इसके तत्काल पश्चात महामारी से लोगों को राहत मिली तब से लेकर अब तक यह परंपरा निभाई जा रही है।